If you have to do direct recruitment then why tie PPSC and SSS boards like 'white elephant': Buddha Ram
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगड़: आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने नई सरकारी भर्ती के दौरान पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) और पंजाब अधीनस्थ सेवा चयन (पीएसएसएस) बोर्ड को बाइपास करके सेहत विभाग समेत विभिन्न विभागों द्वारा की जाने वाली सीधी भर्ती पर सवाल उठाए हैं।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा पार्टी की प्रदेश कोर समिति के चेयरमैन और विधायक प्रिंसीपल बुद्ध राम ने कहा कि घर-घर सरकारी नौकरी के चुनावी वायदे से भागी पंजाब की कांग्रेस सरकार यदि बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों के विरुद्ध थोड़ी-बहुत भर्ती खुलती भी है तो वहीं पिछले दरवाजे के द्वारा अपने चहेतों को रखने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। सेहत विभाग की तरफ से ऐलानी गई नई भर्ती को पीपीएससी और एसएसएस बोर्ड के घेरे से बाहर निकाल कर बाबा फऱीद यूनिवर्सिटी के द्वारा करवाए जाने पर प्रतिक्रिया देते प्रिंसीपल बुद्ध राम ने कहा कि आम आदमी पार्टी खाली पड़ीं सरकारी पदों पर हमेशा पारदर्शी तरीके से स्थाई (रैगुलर) भर्ती की वकालत करती आई है, परंतु सरकार की तरफ से जिस तरीके से पीपीएससी और एसएसएस बोर्ड को नजरअन्दाज करके सम्बन्धित विभाग के द्वारा सीधी भर्ती की जा रही है, वह कई तरह के अंदेशे और सवाल पैदा करती है। प्रिंसीपल बुद्ध राम ने सवाल किया कि यदि विभाग की तरफ से सीधी भर्ती ही की जानी है तो पीपीएससी और एसएसएस बोर्ड के चेयरमैनों, सदस्यों और स्टाफ पर हर महीने सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए क्यों खर्च किए जा रहे हैं? प्रिंसीपल बुद्ध राम ने यह भी पूछा कि सरकार लोगों को स्पष्ट करे कि पीपीएससी और एसएसएस बोर्ड जैसे संवैधानिक और प्रशासनिक विभागों की जरूरत क्यों पड़ी थी, जबकि भर्ती तो विभागीय तौर पर भी हो सकती है?
प्रिंसीपल बुद्ध राम ने कहा कि पीपीएससी और एसएसएस बोर्ड जैसे विभाग सरकारी विभागों में बिना पक्षपात और मैरिट के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को सरकारी सेवाओं के लिए मौका देने के तौर पर अस्तित्व में आए थे, परंतु अकाली-भाजपा और कांग्रेस की रिवायती सरकारों ने यह विभाग अपने चहेतों को 5 साल सरकारी रुतबे और सुख सुविधा देने तक सीमित कर दिए हैं। जहां सरकारी विभागों में हजारों की संख्या में खाली पड़े पदों को स्थाई रूप में भरने की जगह अस्थाई, आउटसोर्सिंग या ठेका भर्ती के द्वारा ‘समय निकालने’ वाली नीति अपना कर नौजवानों के लिए सरकारी नौकरियों के मौके छीने गए हैं, वहीं एक-दो भर्ती के दौरान सत्ताधारी राजनीतिज्ञों और अफसरों द्वारा अपने चहेते और रिश्तेदार ‘फिट’ करने की कोशिशें उसी तरह जारी हैं।