एनआरआई अमृतसर के सोंद्रीकरण से खुश सरकार की व्यवस्था से नाखुस
दोबारा भारत आने के लिये स्वप्न में भी नहीं सोचेंगे--- एन.आर.आई. किरण डडवाल
प्रदीप जैन, जंडियाला गुरुः पंजाब में आने वाले सैलानियों को आकर्षित करने के लिए पंजाब सरकार ने जिस तरह से अमृतसर शहर का कायकल्प किया है, उससे देखकर हर कोई कहेगा क्या बात है। हालांकि इस सोंद्रीकरण के चलते सरकार को कुछ लोगों की नाराजगी भी उठानी पड़ी है, जो भी श्रीदरबार साहिब के चारों तरफ का नजारा देखकर हर कोई कहेगा वाह क्या बात है। लेकिन उसके बाद भी को सैलानी या एनआरआई यह कहे कि वह कभी पंजाब नही आएगा तो थोड़ा अटपटा जरुर लगेगा इसके पीछे क्या कारण है यह जानने के लिए हमारे पत्रकार प्रदीप जैन की रिपोर्ट के आधार पर जैन बताते है कि भारतीय मुल के 70 वर्षीय दंपती जो सिंगापुर से केवल घुमने आया था। उन्होने बताया कि पंजाब सरकार ने गुरु नगरी को संवारने में कोई कमी नही छोड़ी है। लेकिन शहर को सवारने के साथ-साथ शहर में अराजकता का माहौल देखने को मिलता है। जगह-जगह बेतरकीब खड़े वाहन जिसका दिल जिधर से करता है निकल जाता है। शहर की पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था केवल नाम मात्र को है। सड़क पर बेतरकीब रखा सामान पशासन को चिढ़ाता नजर आता है। शहर में जगह-जगह ट्रैफिक जाम उसके उपर बेहतासा घुम रहे भीखारी शहर के सौंद्रकरण को ठेंगा दिखाते नजर आते है।
उन्होंने कहा हर आदमी ट्रैफिक की धज्जियां उड़ा रहा है। हर दुकानदार ने सड़कों तक अपना समान रखा हुआ है। जो कि ट्रैफिक में शरेआम रुकावट डाल रहा है। लोग अपनी गाड़ियां जहां मर्जी खड़ी करके शॉपिंग करने चले जाते हैं। ट्रैफिक जाम में खड़े लोग अपनी बारी का इंतजार किए बगैर दूसरी लाइन बनाने को तरजीह देते हैं । और यह कभी नहीं सोचते कि हमारे कारण किसी और को यहां से निकलने में परेशानी आ सकती है। बस पहले निकलने की दौड़ में घंटा दो घंटे जाम में फंसे रहना पसंद करते हैं। एन.आर.आई.दंपती ने कहा यह सारा कुछ सिर्फ ट्रैफिक पुलिस के निकम्मे प्रबंधों के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस चौक में खड़ी सिर्फ तमाशा देखती रहती है, पर ट्रेफिक को कंट्रोल नहीं करती। जिससे अमृतसर में रहने वाले लोग घंटो तक जाम में फंसे रहने के लिए मजबूर होते हैं। लेकिन देखने लायक बात यह है कि जब कोई वी.आई.पी. आता है, तो फिर यही ट्रैफिक पुलिस तुरंत हरकत में आ जाती है, और ट्रैफिक जाम जैसी कोई भी समस्या नहीं रहती। सैलानी बुजुर्गों ने बताया कि जितना पैसा सरकार शहर को संवारने में खर्च कर रही है, अगर उसमें से कुछ पैसा सिर्फ ट्रैफिक को सुचारु ढंग से चलाने में खर्च किया जाए तो शायद इसके कुछ सार्थक प्रणाम निकल सकेंगें। सिंगापुर से आए दीवान सिंह डडवाल ने बताया कि हमारे मुल्क में चाहे कितना भी जाम क्यों ना लग जाए पर क्या मजाल कोई पीछे से अपनी गाड़ी को आगे ले जाए। हर एक ने एक दूसरे के पीछे अपनी बारी से ही आगे आना होता है। बुजुर्ग दंपति ने वाघा बॉर्डर पर हुई रिट्रीट सेरेमनी देखने के बाद जो हालात बताए, उसे ऐसे प्रतीत होता है कि किसी असभ्य मुल्क में हम सब रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमें एन.आर.आई गैलरी में बैठाया गया था। पर जब झंडे की रसम खत्म हुई तो पता नहीं कहां से लोगों का हजूम उनकी गैलरी में पहुंच गए, तथा बुजुर्ग को इतनी जोर से धक्का लगा कि वह फर्श पर गिर गए। उनके घुटने तथा हाथ में चोट लगी। बुजुर्ग ने हंसते हुए बताया कि वह तो भगवान का शुक्र है कि हम फर्स्ट एड बॉक्स साथ लेकर ही चलते हैं। इस उपलक्ष में उनकी पत्नी किरण डडवाल ने अपना तजुर्बा हमसे साझा करते हुए बताया कि जितनी बेतरतीब भीड़ मैंने वाघा बॉर्डर पर देखी है, मैंने तो कान पकड़ लिया है। जब उनसे पूछा गया कि आप दोबारा अमृतसर कब आओगे ? तो उन्होंने कहा कि हम तो सपने में भी कभी दुबारा यहां आने का नहीं सोचेंगे । दीवान सिंह ने कहा कि सरकार चाहे लाख सहूलत दे दे पर जब तक इन सहूलतों को सही तरीके से लागू नहीं किया जाता, तब तक लोगों का जीवन स्तर ऊंचा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि मैं 12 साल बाद यहां अमृतसर आया हूं। सब कुछ तकरीबन बदल चुका है। पर लोगों की अनुसाशनहीनता नहीं बदली। सरकार को कोई ऐसी लहर चलानी चाहिए जिससे लोग अनुशासन में रहना सीख ले। इन सब मुश्किलों के मध्य नजर मेरी सरकार तथा संबंधित महकमों से अपील है, कि आम जनता खासतौर से दुकानदार भाइयों को इस संबंध में जागरुक किया जाए। जिससे ट्रैफिक और बढ़ रही जनसंख्या से बचा जा सके। ट्रैफिक पुलिस को अपनी ड्यूटी सही तथा इमानदारी से करने के लिए वचनबद्ध किया जाए।