` अयोध्या विवाद पर मंगलवार से सुप्रीमकोर्ट करेगा सुनवाई, पहले तय होगा विवादित भूमि पर किसका अधिकार

अयोध्या विवाद पर मंगलवार से सुप्रीमकोर्ट करेगा सुनवाई, पहले तय होगा विवादित भूमि पर किसका अधिकार

Tuesday the Supreme Court will hear on Ayodhya dispute, firstly decide whose right over the disputed land share via Whatsapp

Tuesday the Supreme Court will hear on Ayodhya dispute, firstly decide whose right over the disputed land

इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः सात वर्षों से चल रहे ​राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगा। इस मामले में शीर्ष अदालत में 13 अपील दायर की गई हैं। इनमें वे याचिकाएं भी हैं जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के वर्ष 2010 के आदेश को चुनौती दी गई है।  हाईकोर्ट की पीठ ने विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा था कि पहले हम यह तय करेंगे कि विवादित भूमि पर किसका अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भूमि विवाद का मामला सुलझने के बाद पूजा-अर्चना का अधिकार आदि मसलों पर बाद में सुनवाई होगी। इस मामले में भाजपा नेता सुब्रह्मणयम स्वामी के कूदने से सरगर्मी बढ़ गई थी। उन्होंने तीन बार पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी। जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट सात वर्ष से लंबित इस मामले की सुनवाई कर रहा है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के तमाम पक्षकारों को अदालत के बाहर बातचीत से मसले का हल निकालने की पहल की थी लेकिन यह प्रयास विफल रहा। ऐसे में अब अदालती प्रक्रिया के तहत इसका हल निकाला जाएगा।

शिया वक्फ बोर्ड ने सुनवाई को बनाया दिलचस्प
इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड के आ जाने से सुनवाई और दिलचस्प हो गई है। शिया वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत द्वारा 30 मार्च, 1946 को दिए उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें बाबरी मस्जिद पर शिया वक्फ बोर्ड की दावेदारी मानने से इनकार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बोर्ड ने कहा कि चूंकि इससे संबंधित सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं इसलिए उन्होंने निचली अदालत के फैसले को सीधे शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। अपनी याचिका में बोर्ड ने यह कहा कि बाबरी मस्जिद मुगल राजा बाबर ने नहीं बल्कि उनके मंत्री अब्दुल मीर बाकी ने बनवाया था। बोर्ड का यह भी कहना है कि मीर बाकी ने अपने पैसे से इसका निर्माण कराया था और मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। चूंकि मीर बाकी शिया था लिहाजा यह शिया वक्फ की संपत्ति है। याचिका में कहा गया कि निचली अदालत का यह आदेश गलत है जिसमें बाबरी मस्जिद को शिया वक्फ की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया गया था।
 शिया वक्फ बोर्ड राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर प्रस्ताव दिया है कि अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण हो और मस्जिद लखनऊ में बनाई जाए। बोर्ड ने कहा कि विवाद को समाप्त करने के लिए वह विवादित स्थल पर अपना अधिकार पूरी तरह छोड़ने को तैयार है। बोर्ड ने कहा है सुन्नी वक्फ बोर्ड का विवादित बाबरी मस्जिद पर कोई अधिकार नहीं है। यह मस्जिद शिया समुदाय की वक्फ मस्जिद थी। लिहाजा इस प्रकरण में शिया वक्फ बोर्ड को पूर्ण रूप से निर्णय लेने का अधिकार है। बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को आपसी सुलह-समझौते से इस विवाद का हल निकालने का सुझाव दिया था, लिहाजा राष्ट्रहित को देखते हुए वह अयोध्या के विवादित स्थल अपने अधिकार छोड़ने के लिए तैयार है। हिंदू समाज उस स्थल पर अपनी आस्था के अनुसार भव्य मंदिर का निर्माण करे। बोर्ड ने कहा कि उसे भविष्य में भी इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं होगी। बोर्ड ने कहा कि तमाम हितधारकों से बातचीत करने के बाद यह निर्णय लिया गया है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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