-नया प्रावधान प्रत्याशित रूप से प्रभावी हो सकता है, पूर्वव्यापी तौर पर नहीं
इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली :
सर्वोच्च न्यायालय ने आधार संख्या को स्थायी खाता संख्या (पैन) से जोड़ना अनिवार्य करने को लेकर आयकर अधिनियम में हाल में जोड़े गए नए प्रावधान को बरकरार रखा, लेकिन इसके क्रियान्वयन पर आंशिक रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति एके सीकरी तथा न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि जिनके पास पहले से ही आधार संख्या है, वे उसे पैन संख्या के साथ जोड़ सकते हैं, लेकिन जिन लोगों के पास आधार नहीं है, उनपर इसके लिए दबाव नहीं डाला जा सकता। न्यायमूर्ति सीकरी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आयकर अधिनियम का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) तथा अनुच्छेद 19 का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने कहा कि नया प्रावधान प्रत्याशित रूप से प्रभावी हो सकता है, पूर्वव्यापी तौर पर नहीं, तथा पहले की गई लेनदेन की फिर से समीक्षा नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया, जिसमें पैन अलॉमेंट के लिए आधार कार्ड को जरूरी करने का विरोध किया गया था। न्यायाधीश एके सीकरी और अशोख भूषण की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला 4 मई को सुरक्षित रख लिया था। बचा दें याचिकाओं में आयकर (आई-टी) अधिनियम की धारा 139 एए, का विरोध किया जा रहा है,जिसे इस बजट और वित्त अधिनियम, 2017 के माध्यम से पेश किया गया था। याचिकाओं में आयकर (आई-टी) अधिनियम की धारा 139 एए, का विरोध किया जा रहा है,जिसे इस बजट और वित्त अधिनियम, 2017 के माध्यम से पेश किया गया था।
बता दें कि आयकर अधिनियम की धारा 13 9एए के तहत इस साल 1 जुलाई से आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए पैन (स्थायी खाता संख्या) के आवंटन के मद्देनजर आधार या आधार नामांकन आईडी को अनिवार्य कर दिया गया था। केंद्र सरकार के कदम का विरोध करते हुए, सीपीआई नेता बिनोय विश्वम सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने खंडपीठ से कहा है कि केंद्र ,सर्वोच्च न्यायालय के 2015 के आदेश से ऊपर नहीं जा सकता है जिसमें कहा गया था कि आधार कार्ड स्वैच्छिक है। उन्होंने तर्क दिया सरकार को धारा 139 एएए कानून लागू नहीं करनी चाहिए, जिससे आधार को पैन के लिए अनिवार्य बनाया जा सके, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों के फैसले के आदेश स्पष्ट थे कि आधार स्वैच्छिक था, अनिवार्य नहीं।