इंडिया न्यूज सेंटर, जालंधर: शारदीय नवरात्र चल रहे हैं। कया आपको पता है कि नवरात्र कया हैं। इन्हीं के बारे में प्रसिद्ध वास्तु व ज्योतिष विशेषज्ञ दीपक अरोड़ा बताते हैं कि हर त्योहार अपने आप में एक विशेषता समेटे रहता है जोकि मानव जन्म की कमजोरी, दूषित क्रियाओं और अन्य विषमताओं की शुद्धि करने का साधन है, जिससे हम अपनी अशुद्धि को दूर कर अपनी मानव देह, जन्म और जन्मान्तर की समस्याओं का हल ढूंढ़, आत्मा की यात्रा को सुगम करने का रास्ता ढूंढते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने सूक्ष्म शुद्धि क्रियाओं को सरल करने के लिए व्रत, पर्व, त्योहार बनाए जो वर्षभर जीवनभर हमें ऋतुओं, सालों और जन्मों की समस्याओं से पार पा सकने में सक्षम करते हैं। इसलिए जीवन संघर्ष को जीतने के लिए शक्ति की जरूरत पड़ती है। वर्ष भर ऋतु परिवर्तन से हमारा खान-पान, रहन-सहन से हमारी देह में कई परिवर्तन आते हैं जो तामसिक, राजसी प्रवृतियों से हमारी बुद्धि, देह, अंतकरण को दूषित करते हैं। इन दूषित जटिलताओं को शुद्धता की ओर ले जाने के लिए ऋतु संधिकाल को पांच खंडों में बांटा गया और पांच संधिकालों के लिए नौ दिन की अवधि निर्धारित की गईं। इन ९ दिन की अवधि को ही नवरात्र अर्थात नव(नौ)+रात्र (रात्रि) का नाम दिया गया। इसे नौ नवीन रात्रि के रूप में समझा जा सकता है जो ऋतु परिवर्तन की संकेतिक तो है ही, इस परिवर्तन में ऋतु अनुसार तैयारी का अवसर भी परिलक्षित करती है।