केरल का प्रमुख त्योहार ओणम, राज्य में समाज के सभी वर्गों द्वारा मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के प्रथम माह 'चिंगम' में पड़ने वाला ओणम विशेष तौर पर खेतों में फसल की उपज के लिए मनाया जाता है।
ओणम, भगवान विष्णु के वामन अवतार की स्मृति और उसके बाद राजा महाबलि की घर वापसी के तौर पर मनाया जाता है।
'अथम' पर्व ओणम के आगमन का द्योतक है। अथम के दौरान लोग ख़ासकर महिलाएं और बच्चे 'पूकलम' या 'अथापू' अथवा भिन्न-भिन्न आकृतियों वाली फूलों की रंगोली बनाते हैं।
अथम के दिन से ही केरल में हर्ष और उल्लास का वातावरण बन जाता है। बाज़ारों में रौनक बढ़ जाती है। अथम के दौरान बच्चे और बड़े पेड़ों पर झूला डाल कर खुशी में झूलों पर हिलोरे भरते हैं।
इस मौके पर केरल में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें से एक है नौका रेस। इस त्यौहार की विशेषता यह है कि इसमें लोग मंदिरों में नहीं, बल्कि घरों में पूजा करते हैं। इस दिन घरों को फूलों से सजाया जाता है और तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं।
दस दिन तक चलने वाले इस त्योहार का मुख्य आकर्षण घर की सजावट और खानपान होता है। भोजन को कदली के पत्तों में परोसा जाता है। इसके अलावा 'पचड़ी-पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर' भी बनाया जाता है।
पापड़ और केले के चिप्स बनाए जाते हैं। दूध की खीर का तो विशेष भोजन महत्व है। इस दौरान केरल की सांस्कृतिक धरोहर देखते ही बनती है। ओणम के अवसर पर समूचा केरल नावस्पर्धा, नृत्य, संगीत, महाभोज आदि कार्यक्रमों से जीवंत हो उठता है।