इंडिया न्यूज सेंटर, पुणे: भाग्य कभी एक सा नहीं होता। इसको भी बदला जा सकता है, लेकिन उसके लिए जरूरी हैं हमारी आस्था, विश्वास और इच्छाशक्ति। आस्था परमात्मा में, विश्वास खुद में और इच्छाशक्ति हमारे कर्म में होनी चाहिए। जब इन तीनों को मिलाया जाए तो फिर किस्मत को भी बदलना पड़ता है। वास्तव में किस्मत को बदलना सिर्फ हमारी सोच को बदलने जैसा है। इंसान को जो कुछ भी मिलता है, उसके लिए वह खुद जिम्मेदार होता है। जीवन में प्राप्त हर चीज उसकी खुद की ही कमाई है। जन्म के साथ ही भाग्य का खेल शुरू हो जाता है। हम अक्सर अपने व्यक्तिगत जीवन की असफलताओं को भाग्य के माथे मढ़ देते हैं। कुछ भी हो तो सीधा सा जवाब होता है, मेरी तो किस्मत ही ऐसी है। अपनी वर्तमान दशा को यदि स्वीकार कर लिया जाए तो बदलाव के सारे रास्ते ही बंद हो जाएंगे। भाग्य या किस्मत वो है, जिसने तुम्हारे ही पिछले कर्मों के आधार पर तुम्हारे हाथों में कुछ रख दिया है। अब आगे यह तुम पर निर्भर है कि तुम उस पिछली कमाई को घटाओ, बढ़ाओ, अपने कर्मों से बदलो या हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहो।