Kejriwal's government shocks, Supreme Court verdict on Delhi rights issue
दिल्ली में विशिष्ट अधिकार क्षेत्रों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति के अधिकार उपराज्यपाल के पास होंगे
दिल्ली सरकार को दिए गए सभी कार्यकारी अधिकार
सेवा से जड़े मामलों की सुनवाई बड़ी बेंच करेगी
नेशनल न्यूज डेस्कः दिल्लीा के अधिकार को लेकर छिडी जंग पर अब विराम लग गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के विशिष्ट अधिकार को लेकर क्षेत्रों का बंटवारा कर दिया है। जस्टिस सीकरी और जस्टिस भूषण की बेंच ने दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अदालत के सामने उठाए गए मुद्दों पर ही सुनवाई की गई है। जस्टिस सिकरी ने कहा कि संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के तबादले और नियुक्ति पर उपराज्यपाल फैसला लेंगे। साथ ही दिल्ली का एंटी करप्शन ब्यूरो भी उपराज्यपाल के अधीन ही काम करेगा। जस्टिस अशोक भूषण सेवाओं के मामले को छोड़ बाकी सभी पांच मुद्दों पर जस्टिस सिकरी से सहमत थे। जस्टिस भूषण ने कहा कि सेवाओं को लेकर दिल्ली सरकार को कोई कार्यकारी अधिकार नहीं है। हालांकि सेवाओं के मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन पाने के कारण इसे बड़ी खंडपीठ को भेज दिया गया है। बिजली पर भी राज्य सरकार का अधिकार होगा। अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होगा। दरअसल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से शासन व्यवस्था चलाने में उप राज्यपाल से अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट पिछले साल जुलाई में फैसला दे चुका था लेकिन सरकार और उप राज्यपाल के बीच विशेष अधिकार क्षेत्रों के बंटवारे को लेकर भ्रम की स्थिति थी, जिसे और अधिक स्पष्ट करने की मांग के साथ दोबारा सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया, फैसले की कुछ बातें स्पष्ट करने के लिए 10 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगीं थी, जिन पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आज अपना फैसला दिया है।