Pakistan's "nefarious act" in Corona crisis, Imraan removed 1800 terrorists from list
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ डेस्क : एक तरफ जहां पूरा विश्व इस समय महामारी कोरोना वायरस से लड़ने में लगा है। वहीं पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहा है। इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने 1800 आतंकियों के नाम निगरानी सूची से हटा दिए है। जिसमें मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर जकी-उर-रहमान भी शामिल है।
पाकिस्तान ने यह नापाक कदम ऐसे समय पर उठाया है जब वैश्विक एंटी मनी लांड्रिंग संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने उसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक नई समयसीमा दी है। इमरान सरकार के निगरानी सूची से आतंकियों के नाम हटाने की जानकारी अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित नियामक प्रौद्योगिकी कंपनी कास्टेलम डॉट एएल ने दी है।
इन तथाकथित अभियुक्त व्यक्तियों की सूची, जिसे पाकिस्तान के राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी प्राधिकरण (एनएसीटीए) ने बनाया है, उसका उद्देश्य वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध आतंकवादियों के लेनदेन के प्रसंस्करण या व्यापार से बचने में मदद करना है। इस सूची में 7,600 लोगों के नाम शामिल हैं। कंपनी के अनुसार 18 महीनों में इसमें मौजूद नाम घटकर 3,800 रह गए हैं। कास्टेलम के डाटा के अनुसार मार्च की शुरुआत से लेकर अब तक 1800 आतंकियों को सूची से हटाया गया है। पाकिस्तान एक कार्य योजना को लागू करने पर काम कर रहा है जिसकी जिम्मेदारी उसे पेरिस स्थित एफएटीएफ ने दी है। जिसमें वित्तीय प्रतिबंधों के प्रभावी कार्यान्वयन को प्रदर्शित करना शामिल है।
कंपनी ने स्पष्ट किया, 'यह संभव है कि इनका नाम हटाना एफएटीएफ सिफारिशों को लागू करने के पाकिस्तान की कार्य योजना का हिस्सा हों।' एफएटीएफ जून 2020 में पाकिस्तान की प्रगति का आकलन करेगा। वर्तमान में वह ग्रे सूची में है। यदि वह आतंकियों के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई करने में असफल रहता है तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। जिसका उसकी चरमराती अर्थव्यवस्था पर बहुत असर पड़ेगा।
कंपनी के अनुसार पाकिस्तान ने सूची से जिन लोगों के नाम हटाए हैं उनमें कई अमेरिकी या संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में सूचीबद्ध आतंकवादियों के उपनाम जैसे लगते हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार पाकिस्तान ने सूची से आतंकियों के नाम हटाने को लेकर अभी तक कोई सार्वजनिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है। हालांकि उसके एक अधिकारी का कहना है कि ऐसा सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता के अनुपालन को लेकर चल रहे प्रयास के तहत किया गया है।