Railway fight against Corona, wash basins will be installed at stations
सीआरपीएफ के विंग 108 आरएएफ मेरठ बटालियन हैडक्वाटर में पहले ही पैडल से चलने वाले वॉश बेसिन
नेशनल न्यूज डेस्कः सीआरपीएफ के विंग रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के मेरठ स्थित बटालियन हैडक्वाटर में जवानों के लिए (हैंड्स-फ्री) पैडल से चलने वाले वॉश बेसिन लगवाए है। अब रेलवे ने भी अपने कर्मचारियों और यात्रियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए अपने सभी स्टेशनों, फील्ड इकाइयों और अस्पतालों में हाथों से मुक्त (हैंड्स-फ्री) वॉश बेसिन बनाने की योजना बनाई है।
यात्री डिब्बों में ऐसे ही कॉन्टैक्टलेस वॉश बेसिन के विकास और परीक्षण के लिए एक आदेश जारी किया गया है। दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इस वॉश बेसिन को बनाया गया है। इसको इस्तेमाल करने का तरीका काफी आसान है। इसमें पानी और साबुन के लिए किसी भी व्यक्ति को अपने पैरों से बेसिन से जुड़ी एक पैडल को दबाना होगा। इससे अलग-अलग डिस्पेंसर से पानी और साबुन बाहर आ जाएगा। यानी इसके इस्तेमाल के लिए किसी को भी नल की टोटी को छूना नहीं पड़ेगा। स्थानीय संसाधनों और इन-हाउस इंजीनियरिंग कौशल की मदद से उत्तर रेलवे की एक कार्यशाला में इस संपर्क रहित वॉश बेसिन के कई मॉडलों को बनाया गया है। इनमें क्लच-वायर मैकेनिज्म से संचालित फुट-पैडल, मैकेनिकल लिंकेज के साथ संचालित फुट-पैडल, इलेक्ट्रो-मैकेनिक की तरफ से संचालित प्रणाली, और एक सेंसर-आधारित स्वचालित रूप से संचालित प्रणाली शामिल हैं। क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि वॉशबेसिन के रोल-आउट की समय-सीमा उत्तरी रेलवे की कार्यशाला में दिए गए आदेशों की संख्या पर निर्भर करेगी, जिसकी तरफ से मॉडल को बनाया गया है। अधिकारी ने आगे कहा, "इन हाथों से मुक्त वॉश बेसिन का उपयोग स्टेशन इकाइयों, कार्यशालाओं और अस्पतालों में किया जा सकता है। हम उन्हें यात्री डिब्बों पर भी लगाने के तरीके तलाश रहे हैं और हम जल्द ही परीक्षण शुरू करेंगे। उत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य यांत्रिक इंजीनियर अरुण अरोड़ा ने कहा, "हमने माना है कि अगर हम पारंपरिक वॉश बेसिन में हाथ धोने के अपने पारंपरिक तरीके जारी रखते हैं, तो महामारी फैल जाएगी।"