इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: इंडोनेशिया के बाली आईलैंड का बेंगकला गांव अपने आप में अनोखा है क्योंकि यहां के लोग बोलने की बजाय इशारों में बात करते हैं। ये लोग अपनी कई साल पुरानी सांकेतिक भाषा में बात करते हैं जिसे कोटा कोलोक कहते हैं। कहा जाता है कि इस गांव के निवासी पिछली 7 पीढिय़ों से इस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। बेंगकला की अधिकतर जनसंख्या बोलने और सुनने में सक्षम नहीं है। इसका कारण मां-बाप से मिले जीन्स को बताया जाता है। जन्म से ही ये लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। इस बीमारी के पीछे एक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि दो लोग जिनके पास दैवीय शक्तियां थीं, लड़ते हुए उन्होंने एक दूसरे को कभी ना सुन पाने का श्राप दे डाला। हालांकि अब इस कथा पर काफी कम लोग यकीन करते हैं। ना बोल और सुन पाने के चक्कर में इस गांव को बहरा गांव भी कहा जाता है। इसकी गांव की एक और खासियत यह है कि यहां जो बोल और सुन सकता है वह भी कोटा कोलोक सीखता है ताकि जो बोल-सुन नहीं सकते उनसे बात कर सके।