इंडिया न्यूज सेंटर, जयपुर: कहते हैं कि एक पिता की अपनी बेटी से और मां की अपने बेटे से बनती है लेकिन एक पिता को अपने बेटे का बाप कम दोस्त ज्यादा बनना चाहिए। अक्सर पिता और पुत्र के बीच दोस्ती कम ही हो पाती है। इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें से कुछ हैं ये...बेटा जब 18 साल का हो जाता है, तो वह खुद को बड़ा और समझदार मान लेता है, लेकिन कहते हैं न बाप-बाप होता है और बेटा-बेटा और यह बात पापा-बेटे के बीच की दोस्ती के रास्ते का कांटा बन जाती है। हर पिता को लगता है कि उनका बेटा कोई भी काम जिम्मेदारी से नहीं करता और हर बेटे को लगता है कि पापा बिना वजह हर बात पर ओवर रिएक्ट करते हैं। ऐसे में पिता और पुत्र के बीच पनप जाती है एक और गलतफहमी। जब कोई बेटा आगे बढ़ कर किसी काम की जिम्मेदारी लेता है तो उसका सारा उत्साह तभी खत्म हो जाता है, जब पापा कहते हैं - सोच लो, ये काम तुम्हारे बस का नहीं है। यह एक बात बेटा अपने पापा से कभी नहीं सुनना चाहता। ज्यादातर लडक़ों को उसके दोस्त बहुत प्यारे होते हैं। ऐसे में जब भी पापा अपने बेटे के दोस्तों की बुराई करते हैं या उन पर ताने कसते हैं, तो बेटों को यह कतई पसंद नहीं आता। इस लिस्ट में एक और बात तब जुड़ जाती है, जब बेटा भले ही घर का कोई काम निपट कर आया हो और अनजान पिता उसे कह देते हैं कि तुम पूरे दिन आवारागर्दी करते हो। यकीनन कोई भी बेटा अपने पिता से यह बात नहीं सुनना चाहेगा। यहीं बातें बाप और बेटे की दोस्ती के आड़े आ जाती हैं।