इंडिया न्यूज सेंटर,गोरखपुरः गोरखपुर के बीआरडी कालेज में बच्चों की मौत के मामले एसटीएफ ने कानपुर के साकेत इलाके से मंगलवार की दोपहर को गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी पूर्णिमा को हिरासत में लिया है। इस केस में यह पहली गिरफ्तारी मानी जा रही है। ये दोनों वहां अपने केस के सिलसिले में विचार विमर्श के लिए पहुंचे थे। एसटीएफ के डीआईजी मनोज तिवारी ने इसकी पुष्टि कर दी है। गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 10 अगस्त की रात को ऑक्सिजन की सप्लाई में बाधा से बच्चों की मौत नहीं हुई, क्योंकि वैकल्पिक उपाय मौजूद थे। डॉक्टर और ऑक्सिजन सप्लायर, ऑक्सिजन खत्म होने के लिए दोषी हैं। उन्हें पता था कि इसकी वजह से मौतें हो सकती हैं। गोरखपुर के अस्पताल में बच्चों की मौत पर यूपी सरकार की जांच रिपोर्ट का यही निश्कर्ष निकला है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त में छह दिनों में 63 लोगों की मौत हो गई थी। जिनमें 10 और 11 अगस्त को ही 30 बच्चों की मौत हो गई थी। जान गंवाने वालों में नवजात बच्चे भी शामिल थे।बाल चिकित्सा केंद्र में बच्चों की मौतों के लिए इंफेक्शन और ऑक्सीजन की सप्लाई में दिक्कत को जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन अस्पताल और जिला प्रशासन ने ऑक्सीजन की कमी को मौत का कारण मानने से इनकार किया था।
308 में 7 साल तक की सजा का प्रावधान
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज
यूपी पुलिस ने 4 डॉक्टरों और ऑक्सिजन डीलर पुष्पा सेल्स के दो अधिकारियों पर आईपीसी की धारा 308 के तहत कार्रवाई की। यह धारा जानबूझकर की गई लापरवाही के कारण हुई मौत से जुड़ी है। पुलिस ने धारा 304 के तहत कार्रवाई नहीं की है, जिससे हत्या का मामला बनता है। 308 में 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। सबसे अहम बात यह है कि यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार के उसी दावे की तरह है, जिसके तहत 10 अगस्त की रात को दो घंटे तक ऑक्सिजन की सप्लाई बाधित रहने से मौत नहीं होने की बात कही जा रही थी। एफआईआर में कहा गया है कि बीआरडी के पूर्व प्राचार्य राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी पुष्पा मिश्रा की ऑक्सिजन सप्लाई में कथित तौर पर पुष्पा सेल्स से डील थी। प्राचार्य ने पर्याप्त फंड होने के बावजूद 2016-17 में ऑक्सिजन सप्लाई से जुड़ी बकाया रकम को मंजूरी नहीं दी और वित्त वर्ष के आखिर में 2.5 करोड़ के इस बजट को लैप्स हो जाने दिया।एफआईआर में कहा गया है कि बीआरडी को 2017-18 में 4.54 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया, जिनमें से पुष्पा सेल्स से संबंधित 64 लाख रुपये की रकम का अप्रैल में तत्काल भुगतान किया जा सकता था, लेकिन मिश्रा ने ऐसा नहीं किया। इन गतिविधियों के कारण पुष्पा सेल्स ने 10 अगस्त को ऑक्सिजन की सप्लाई रोक दी, जबकि दोनों डॉक्टरों और कंपनी को यह पता था कि ऐसी स्थिति में अस्पताल में मौतें हो सकती हैं।