इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: चरण स्पर्श करना परंपरा ही नहीं, बल्कि आदर का स्वरूप है। मनोवैज्ञानिकों का मत है कि चरण स्पर्श करने से लक्ष्य को पाने का बल मिलता है लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि केवल उन्हीं के चरण स्पर्श करना चाहिए, जिनके आचरण ठीक हों, क्योंकि चरण और आचरण के बीच भी सीधा संबंध है। चरण स्पर्श करने से उस व्यक्ति के सकारात्मक गुणों का समावेश हमारे अंदर होता है। यदि व्यक्ति का आचरण खराब है तो नकारात्मक ऊर्जा का समावेश भी हो सकता है। दरअसल, चरण स्पर्श करना एक तरह का व्यायाम है। पैर स्पर्श करने से शारीरिक कसरत होती है। जब हम पैर स्पर्श करने के लिए झुकते हैं तो शरीर का लचीलापन भी बना रहता है। और हमारे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। जो मस्तिष्क की मांस-पेशियों के लिए बेहतर माना जाता है। चरण स्पर्श तीन तरीके से किया जाता है। पहला झुककर पैरा स्पर्श करना। दूसरा तरीका है घुटने के बल बैठकर पैर स्पर्श करना और तीसरा तरीका है साष्टांग प्रणाम करना यानी सर, सीना, नाक और मस्तक को झुकाकर प्रणाम करना। यह प्रक्रिया सूर्य नमस्कार के समय अमूमन की जाती है।