इंडिया न्यूज सेंटर, अमृतसरः
हे सच्चे पातशाह दीन दुनिया के वाली धन धन श्री गुरु रामदास की महाराज! तुम्हारे दरबार में मुझे माथा टेकने से रोकने वाले काबिज महंतों और मस्सा रंघड़ का उसी तरह ही बेड़ा गर्क करना जिस तरह विधानसभा चुनावों में किया था। यह अरदास आप्रवासी अमृतधारी सिंह भाई अवतार सिंह तूफान ने भरे मन से अमृत वेले श्री हरिमंदिर साहिब में सबके सामने की। इसके उपरांत पत्रकारों को आपबीती सुनाते हुए भाई तूफान ने कहा कि वह अमरीका से विशेष कर मन्नत मांग कर आया था कि वह चालीस दिन लगातार श्री हरिमंदिर साहब में माथा टेकेगा, सेवा करेगा और उसके उपरांत वापस लौटेगा परन्तु करीब 28 दिनों बाद शिरोमणि कमेटी के सेवकों ने उसे गत दिवस अंदर माथा टेकने जाने से रोक कर उस की प्रतिज्ञा और विश्वास को भंग किया है और पालकी साहिब की सेवा करने से भी रोक दिया।
दरबार साहिब में हो रही वारदात महंत नरायणु की मिलीभगत
तूफान ने श्री हरिमंदिर साहिब पर काबिज महंतों की तुलना मस्सा रंघड़ और नरायणु के साथ करते कहा कि इतिहास गवाह है कि इन राजपूत मुसलमानों ने किसी समय नवम पातशाह को भी दरबार के अंदर माथा टेकने से रोक दिया था और फिर गुरु साहिब ने इन महंतों को कड़ाहे में जला कर ऐसी सफाई की कि आज उनके परिवारों का सुराग खोज भी नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि श्री दरबार साहिब चारों वर्णों के लिए सांझा दरबार पांचवें पातशाह गुरु अर्जुन देव जी ने अपने कर-कमलों से बनाया था परन्तु शायद उनको इस का ज्ञान नहीं होगा कि महंत नरायणु कभी उस के सिखों को ही माथा टेकने से रोक देंगे। उन्होंने कहा कि श्री दरबार साहिब में बच्चे अगवा होने, चोरियां होना और जेबें काटना, स्नान करते श्रद्धालुओं के कपड़े चोरी होना, गोलक की लूटमार करना आदि यह महंत नरायणु की मिलीभगत का ही नतीजा है।
शिरोमणि कमेटी प्रधान से करेंगे मुलाकात
उन्होंने कहा कि पहले तो ऐसे तत्व पकड़े ही नहीं जाते, यदि पकड़े भी जाएं तो उनकी सही ढंग से जांच नहीं होती जिस कारण वास्तविकता छुपी रहती है और असली आरोपी बच जाते हैं। उन्होंने कहा कि अपने साथ हुई आपबीती की दास्तान वह शिरोमणि कमेटी प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर के साथ विशेष मुलाकात करके बताएंगे और मांग करेंगे कि अन्याय करने वाले सेवकों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि और कोई श्रद्धालु गुंडागर्दी का शिकार न हो सके। उन्होंने कहा कि उन्होंने तुरंत श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से शिकायत की थी परन्तु उनका कहना भी मानने से उक्त सेवादारों ने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि गुरु की गोलक में से वेतन लेने वाले शिरोमणि कमेटी के कर्मचारी ही जत्थेदार का कहना नहीं मानेंगे तो फिर बाकी सिखों से उनके हुक्म मानने की आकांक्षा कैसे रखी जा सकती है? उन्होंने कहा कि वह अमरीका में वापस जा कर हर रविवार को अलग-अलग गुरुद्वारों में इस घटना का जिक्र करेंगे और संगत को महंतों का कब्जा शिरोमणि कमेटी से समाप्त करवाने के लिए एकजुट करेंगे।