इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने चुनाव पूर्व बजट पेश करने की मोदी सरकार की योजना का विरोध किया है। उनका आरोप है कि इसके माध्यम से लोक लुभावनी घोषणाएं करके भाजपा मतदाताओं को लुभा सकती है। कांग्रेस, बसपा, जदयू, राजद, सपा समेत विपक्षी दल गुरुवार को चुनाव अयोग के दफ्तर पहुंचे और इस पर रोक लगाने की मांग की। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल यू, बसपा तथा कुछ अन्य दलों के नेताओं ने यहां चुनाव आयोग जाकर मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात की और अपनी मांग के संबंध में एक ज्ञापन सौपा। इन दलों का कहना है कि संसद में आम बजट पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के लिये मतदान पूरा होने के बाद भी संसद में आम बजट पेश किया जाना चाहिए। उनका कहाना है कि चुनाव से ठीक पहले बजट पेश किए जाने से केन्द्र में सत्तारुढ़ भाजपा विधानसभा चुनावों में इसका फायदा उठा सकती है क्योकि बजट में लोक लुभावन घोषणाएं हो सकती हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि प्रतिधिनिधि मंडल में शामिल सभी दलों के नेताओं ने अपनी बात रखी और मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य आयुक्तों ने काफी ध्यान से उनकी बातें सुनी। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि 11 सदस्ययी प्रतिनिधि मंडल ने आयोग के समक्ष अपनी बात रखी और 15-16 पार्टियां मांग को लेकर एक साथ हैं। विपक्षी दलों के अलावा भाजपा की सहयोगी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने आज राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से अपील की कि वह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बजट पेश करने की इजाजत नहीं दें।