country that will give rapid testing kit at half the price than China
नेशनल न्यूज डेस्क: भारत में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसकी रोकथाम के लिए सरकार ने चीनी कंपनी के साथ रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर करार किया था। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा चीनी कंपनी से किया गया करार रद्द किए जाने के बाद, मानेसर स्थित दक्षिण कोरियाई कंपनी एचएलएल (मेसर्स एसडी बायोसेंसर) से करार किया गया है, जो अब पूरे प्रदेश में रैपिड टेस्टिंग किट (मेकस्योर) की आपूर्ति करेगी।कंपनी के पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हैं और हरियाणा सरकार की तरफ से जितनी किट की मांग की जाएगी, कंपनी उतनी उपलब्ध कराने में सक्षम है।
विशेष बात यह है कि इसके लिए सरकार को कंपनी को प्रति किट के हिसाब से महज 380 रुपये चुकाने होंगे। इससे सरकार को प्रति किट 400 रुपये का लाभ होगा क्योंकि चीनी कंपनी उसी किट का 780 रुपये ले रही थी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से रैपिड टेस्टिंग किट के जरिये कोविड-19 की जांच की अनुमति दिए जाने के बाद से ही मानेसर स्थित एचएलएल कंपनी में किट का उत्पादन शुरू हो गया है। पहले दौर में राज्य सरकार ने कंपनी से 25 हजार रैपिड टेस्टिंग किट की खरीद की है।
छत्तीसगढ़ सरकार भी खरीद चुकी है ये किट :
छत्तीसगढ़ सरकार ने भी कोरोना को मात देने के लिए इस कंपनी से रैपिड टेस्टिंग किट खरीद चुकी है। कंपनी सूत्रों के मुताबिक कोरिया से भी कोविड-19 की जांच के लिए कंपनी से किट की मांग की गई है। कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि इस समय कंपनी में एक दिन में 3-4 लाख किट का उत्पादन हो रहा है। केंद्र सरकार के साथ ही अन्य राज्य सरकारों ने भी कंपनी से रैपिड टेस्टिंग किट की मांग की है।
इसलिए रद्द हुआ चीन का ऑर्डर :
राज्य सरकार ने चीन को एक लाख रैपिड टेस्टिंग किट का ऑर्डर दिया था। कहा जा रहा है कि चीन से आयातित किट के जरिये देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले कोविड-19 टेस्ट फेल हो रहे हैं तो किट की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं, चीन की तरफ से किट की आपूर्ति में देरी भी ऑर्डर रद्द करने की वजह बनी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल से बात की और फिर मानेसर स्थित कंपनी से रैपिड टेस्टिंग किट मंगाए जाने का रास्ता साफ हुआ।
कीमत में था भारी अंतर :
मानेसर स्थित कंपनी की तरफ से मिलने वाली किट व चीन से आने वाली किट की कीमत में भी भारी अंतर है। चीन से आने वाली 1 लाख किट के लिए राज्य सरकार को 780 रुपये प्रति किट के हिसाब से कीमत चुकानी पड़ती, जबकि दक्षिण कोरियाई कंपनी सरकार को महज 380 रुपये प्रति किट के हिसाब से 1 लाख किट उपलब्ध कराएगी। ऐसे में प्रति किट के हिसाब से सरकार को 400 रुपये कम खर्च करने पड़ेंगे।