सुमेश शर्मा/निखिल शर्मा,जालंधरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर परम्परागत शस्त्र पूजन (दण्ड) तथा शहर के विभिन्न मार्गों पर स्वयंसवेकों द्वारा अनुशासित पथ संचलन निकाला गया। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहकार भारती ,उत्तर क्षेत्र प्रमुख श्री अमृत सागर ने कहा कि सन 1925 में विजय दशमी वाले दिन नागपुर में महान क्रांतिकारी डा. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने समाज संगठन तथा देश को स्वतंत्र कराने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। उस समय संघ की प्रतिज्ञा में हम देश को आजाद कराने का संकल्प लेते थे। डा. हेडगेवार जी ने कहा कि हिन्दू समाज की फूट के कारण बार-बार हमारे देश में विदेशी हमलावर आए , उन्होंने हमें लूटा तथा हमारे राजा बन बैठे। हिन्दू समाज का संगठन होना अति महत्वपूर्ण कार्य है। इस विषय पर उन्होंने 10 वर्ष गहन चिंतन किया था । इस विषय पर उनकी तत्कालीन राष्ट्रीय नेताओं से चर्चा भी हुई। सब ने इस काम को करने की सहमति दी परन्तु इसे कठिन व लम्बा बताया। ऐसी परिस्थिति में स्वयं डा. साहब जी ने यह कार्य अपने हाथ मे लेकर प्रारम्भ किया। 1925 में लगा वो छोटा सा एक बीज आज एक वट वृक्ष बन गया है। जिसकी हजारों शाखाओं के द्वारा समाज भलाई के अनेकों कार्य किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय सम्मान को पुनर्जीवित करने में संघ का अमूल्य योगदान रहा है। चाहे वह देश विभाजन का समय हो या देश में आपातकाल के समय लोकतंत्र की रक्षा का हो , हर परिस्थितयो में स्वयंसेवकों ने अपनी जान पर खेलकर समाज तथा लोकतंत्र को जीवित रखने के लिये अपना जीवन दिया। वर्तमान समय में रामजन्मभूमि आंदोलन , गो सेवा, जैविक खेती, सामाजिक समरस्ता तथा परिवार प्रबोधन को एक नई दिशा दी है। अभी-अभी चीन द्वारा हमारी सीमा पर खड़े किये संकट को चुनौती मानते हुए पूरे देशभर में चीन के खिलाफ स्वदेशी के समर्थन में एक व्यापक जनअंदोलन खड़ा किया। जिसके परिणामस्वरूप अड़ियल चीन को डोकलाम से पीछे हटना पड़ा। अंत में उन्होंने सभी स्वयंसेवकों तथा समाज से अपील की कि वह समाज में सामाजिक समरसता का भाव उत्पन्न करें। इसी भाव के कारण हमारा समाज इकट्ठा होगा। ऐसे इकट्ठे शक्तिशाली समाज के बल पर हम भारत माता को परमवैभव पर ले जाने में समर्थ होंगे। यही उद्देश्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है और प्रतिदिन प्रार्थना में भारत माता की जय का उद्घोष हमें यह याद दिलाता रहता है। इस अवसर पर संघ के प्रमुख अधिकारी तथा समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। नगर में निकले भव्य संचलन का समाज में जबरदस्त स्वागत हुआ। पैर से पैर मिलाकर चल रहे स्वयंसेवकों के अनुशासन से समाज प्रभावित हुआ है।