Born too Soon: 3 Premature babies discharged from PIMS
इंडिया न्यूज सेंटर,जालंधरः जीवन ईश्वर द्वारा मनुष्य को प्रदान सबसे अमुल्य सौगात है, परंतु इसे बचाने का दायित्व डाक्टरों पर है और अपने इस दायित्व को पंजाब इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसिज (पिम्स) ने बाखूबी निभाया है। पिम्स में चाइल्ड विभाग के प्रोफेसर डा. जतिंदर सिंह ने बताया कोरोना काल के दौरान अगस्त महीने में जालंधर और होशियारपुर के दो परिवारों के 28 और 26 हफ्तों के प्री मेच्योर बच्चों को अत्यंत गंभीर हालातों में अपने अधक मेहनत के बूते पर बचाने में कामयाबी हासिल की है।
अधिक जानकारी देते हुए डा. जतिंदर सिंह ने बताया कि अगस्त महीने में जालंधर निवासी अंजू के घर 28 हफ्तों की दो प्री-मेच्योर बच्चियों ने जन्म लिया। जिनका उस समय भार 680 ग्राम और 890 ग्राम था जबकि नार्मल नवजात बच्चे का भार 2.5 से 4 किलो होता है। इसी प्रकार होशियारपुर निवासी रशपाल कौर के घर में भी 26 हफ्तों की एक प्री-मेच्योर बच्ची ने जन्म लिया। जिसका उस समय भार 630 ग्राम था। इस तीनो बच्चों के फेफड़े तक नहीं बने हुए थे।बहुत ही गंभीर हालत में इन तीन बच्चियों को पिम्स के निकू वार्ड में दखिल किया गया।
उन्होंने आगे बताया कि जालंधर निवासी अंजु की बच्चियों को सांस नहीं ले पाने के कारण नौ दिन तक वेंटलेटर पर रखा गया उसके बाद उसे 5 दिन सीपेपस्पोर्ट पर रखा गया । सात ग्राम खून होने कारण बच्चे बहुत ही कमजोर थे। इन बच्चों को तीन बार खून चढ़ाया गया और काफी समय तक आक्सीजन पर भी रहे। इसके अलावा थायरेड नहीं बन रहा था औरबच्चे दूध भी नहीं पचा रहे थे। इसके बाद इन बच्चियों की आंख के पीछे वाला पर्दा भी नहीं बन रहा था। लेजर तकनीक के द्वारा इनकी आंख का अपरेशन किया गया।
इसके अलावा होशियारपुर निवासी रशपाल कौर के घर 18 साल बाद एक प्रीमेच्योर बच्ची ने जन्म लिया। लेकिन जन्म के समय उसकी हालत भी काफी गंभीर थी। बच्ची को पिम्स में इलाज के लिए भर्ती किया गया। निकू में दाखिल करने के बाद इसका भी इलाज शुरू किया गया। इस बच्ची को एक महीने तक सीपेपस्पोर्ट पर रखा गया।बच्ची को इंफेक्शन काफी ज्यादा थी। इसका भी खून सात ग्राम था। खूुन नहीं बन रहा था। सांस रुक-रुक कर आ रही थी।डा. जतिंदर ने कहा कि इन तीनो बच्चों का तुरंत इलाज किया गया। इलाज के बाद इन बच्चों के फेफड़े भी बनने शुरु हो गये हेै। तीनों अब पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। तीनो को जल्द ही पिम्स से छुट्टी देकर घर भेज दिया जाएगा।
पिम्स के रेजिडेट डायरेक्टर अमित सिंह और डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. कुलबीर कौर ने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी पिम्स के डाक्टर पूरी लगन और मेहनत से अपनी जिम्मेवारी को बाखूबी निभारहे हैं। पिम्स हमेशा इसी कोशिश में रहा है कि यहां आने वाले हर किसी मरीज का अच्छे से इृलाज हो सके और खुशी- खुशी घर जा सके। उन्होंने बताया कि सबसे जरूरी बात यह है कि कोरोना अभी तक पूरी तरह से गया नहीं है, इसलिए सावधानी पहले के जैसी ही बरतें। ताकि अपने साथ-साथ अपने परिवार को भी स्वस्थ्य जीवन प्रदान कर सकें।