Municipal Corporation may have its own court, the mayor demanded from the High Court Registrar
सुखदेव सिंह,जालंधर: नियम तोड़ने वालों पर सख्त एक्शन के लिए नगर निगम की अपनी कोर्ट दोबारा स्थापित हो सकती है। निगम के सभी विभाग नियम तोड़ने पर चालान कर रहे हैं, लेकिन यह चालान रद्दी का ढेर साबित हो रहे हैं। इन पर कोई एक्शन नहीं हो रहा। निगम अफसर बार-बार दावा करते हैं कि चालान कोर्ट भेजे जाएंगे लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं रहा है। मेयर जगदीश राजा ने इस पर पहल की है। वह चंडीगढ़ में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से मिले हैं। उनके सामने जालंधर निगम में जज की नियुक्ति की मांग रखी है। मेयर ने कहा पिछले दिनों हुई मुलाकात में रजिस्ट्रार से इस पर लंबी बात हुई है। उन्होंने दो ऑप्शन दी हैं। नगर निगम के लिए अलग से जज की नियुक्ति भी हो सकती है और पहले से ही मौजूद कोर्ट में एक जज को निगम के चालान के निपटारे की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। इस पर एक्सपर्ट से राय लेकर ही फैसला लेंगे कि कौन सा विकल्प बेहतर है। नगर निगम में पहले भी अपनी कोर्ट थी। उसी कोर्ट में निगम के विभिन्न विभागों के काटे गए चालानों पर फैसला होता था। मेयर ने कहा कि नगर निगम के लिए अलग से कोर्ट की जरूरत है लेकिन इसका क्या असर होगा और कितना खर्च निगम के जिम्मे होगा यह सब भी देखना होगा। ऑफिस और स्टाफ की व्यवस्था भी करनी होगी। अपनी कोर्ट से नियम लागू होंगे, इनकम भी बढ़ेगी। नगर निगम विभाग चालान तो काट रहे हैं, लेकिन इन पर न तो किसी को जुर्माना लगाया जा रहा है और न ही कोर्ट भेजा जा रहा है। अगर अपनी कोर्ट होगी तो चालानों की जुर्माना राशि से निगम की इनकम भी बढ़ेगी और उससे भी बढ़ कर यह है कि सख्ती बढ़ने से नियम का पालन भी बढ़ेगा। इस समय नगर निगम के लिए सबसे महत्वपूर्ण एंटी पॉलिथीन कैंपेन है। इसके चालान काटे जा रहे हैं। वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट, प्रॉपर्टी टैक्स, हेल्थ डिपार्टमेंट, बिल्डिंग डिपार्टमेंट के हजारों चालान पहले से ही पेंडिंग हैं।
पॉलीथिन बैन के चालान कट रहे, नहीं दर्ज होता केस
पॉलीथिन का इस्तेमाल रोकने के लिए नगर निगम के पास कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं है। निगम अफसर मंडियों में कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि पॉलीथिन आ कहां से रहा है। नगर निगम पॉलीथिन की सप्लाई लाइन तोड़ने मे असफल रहा है। इसका बड़ा कारण ढीली कानूनी कार्रवाई है। अब तक जितनी भी जगह निगम ने रेड की है, वहां ज्यादातर कार्रवाई माल जब्त करने की हुई है। कानूनी कार्रवाई नहीं होने से पॉलीथिन बनने और सप्लाई करने वालों के हौसले बुलंद हैं। इस मामले में न किसी की गिरफ्तारी होती है और न ही कोई केस दर्ज होता है। कानूनी माहिरों का कहना है कि पॉलिथीन कैरी बैग पर रोक तभी संभव है जब नगर निगम के अफसर अपना फोकस बदलें। आम पब्लिक पर एक्शन से बात नहीं बनेगी। बड़े कारोबारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। एडवोकेट अजय कुमार लक्की ने कहा कि जब मार्केट में पॉलीथिन उपलब्ध नहीं होगा तो लोग इस्तेमाल कर देंगे। जैसे नशा कारोबारियों पर एक्शन होने से ही नशा रुकेगा। नशा पीड़ितों पर कार्रवाई से सप्लाई नहीं रुकेगी।