इंडिया न्यूज सेंटर, वाराणसी। बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में एक महिला बेसुध पड़ी है। दर्द के इंजेक्शन के सहारे जिंदा है, लेकिन असर कम होते ही कराहने लगती है। फिर अचानक गुस्से से भर उठती है और अपने एक पैर के सहारे अस्पताल के बिस्तर से भागने की कोशिश करती है। चिल्लाती है और कहती है, मैं ठीक हो जाऊं तो उन दोनों आदमियों को मार डालूंगी। बस एक बार वो दोनों मेरे सामने आ जाएं। ये उस महिला की कहानी है जिसे उत्तर प्रदेश में पिछले महीने रेपिस्टों ने चलती ट्रेन से फेंक दिया था। बात 18 सितंबर की है। रात को महिला मायके से उत्तर प्रदेश के जौनपुर अपनी ससुराल लौट रही थी। गलती से मऊ चली गई। वो ट्रेन में वो आखिरी डिब्बे में थी। तब ट्रेन लगभग खाली हो गई थी। तीन आदमी जो शायद उस ट्रेन में मूंगफली और चाट बेचते थे, उसके पास आए और उसे दबोच लिया। इसके बाद वो चिल्लाने लगी और भागकर ट्रेन के गेट तक आ गई तो उन लोगों ने इसे चलती ट्रेन से पटरियों पर फेंक दिया। उसका पैर ट्रेन के नीचे आ गया। वो पटरियों से कुछ मीटर दूर खेत में काम कर रहे मजदूरों को पड़ी मिली। कोई नहीं जानता कि यहां तक वह कैसे पहुंची होगी। होश आता है तो चिल्लाती है या बुदबुदाकर कुछ बातें कहने लगती है। लोगों ने देखा तो उसे अस्पताल पहुंचाया। मऊ के अस्पताल में जब उसकी हालत बिगडऩे लगी तो उसे वाराणसी के बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट कर दिया।