DR. M. S. RANDHAWA ARTS AND LITERATURE FESTIVAL
AUDIO VISUAL PRESENTATION BY PROF B. N. GOSWAMY ENTHRALS ART LOVERS
PUNJAB GAURAV SANMAAN CONFERRED UPON PROF B. N. GOSWAMY
प्रौ. बी एन गोस्वामी की भारतीय चित्रकला बाबत प्रस्तुति ने कला प्रेमियों का मन मोह लिया
प्रौ. गोस्वामी को पंजाब गौरव सम्मान से नवाज़ा
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़ः पंजाब कला परिषद द्वारा करवाए जा रहे डा. एम एस रंधावा यादगारी कला और साहित्य मेला- 2018 (2 फरवरी से 8 फरवरी) के दौरान आज प्रौ. बी एन गोस्वामी द्वारा डा. एम एस रंधावा यादगारी भाषण और ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति-भारतीय चित्रकला में समय के पहलू: काल, समय, वक्त - दी गई जिसने कला प्रेमियों का मन मोह लिया। पंजाब कला भवन, सैक्टर 16 में करवाए जा रहे इस मेले के दौरान प्रौ. गोस्वामी को पंजाब गौरव सम्मान से सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर विशेष तौर पर सजाया गया पंजाब कला भवन का प्रांगण श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ था। श्री गोस्वामी का भाषण मिनिएचर चित्रों की प्रोजैक्शन के साथ और भी प्रभावशाली रंग इख्तियार कर गया और कला प्रेमियों ने इसका खूब आनंद लूटा। इस अवसर पर प्रो. गोस्वामी ने पुरातन समय के भारतीय चित्रकारों की ‘समय’ को प्रकट करने की तकनीक संबंधी भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर पंजाब ललित कला अकादमी के प्रधान और प्रसिद्ध कलाकार दीवान मन्ना ने प्रौ. गोस्वामी संबंधी बताया कि गत् सदी में आनंद कुमारस्वामी के बाद प्रौ. गोस्वामी ही ऐसे विद्वान हैं जिनके कला इतिहास में दिये गये योगदान को पूरी दुनिया में आदर और सम्मान से देखा जाता है। श्री गोस्वामी ने भारतीय कला की बारीकियों संबंधी विस्तार से लिखे अपने लेखों द्वारा भारतीय कलाकारों का रुतबा पूरे संसार में ऊंचा करवाया है और उनकी अलग पहचान बनाने में मदद की है। इस मौके पर पंजाब कला परिषद् के चेयरमैन और प्रसिद्ध कवि डा. सुरजीत पातर ने प्रौ. गोस्वामी को पंजाब कला परिषद् द्वारा पंजाब गौरव सम्मान से सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि प्रौ.गोस्वामी इस समय भारत के सबसे मशहूर कला इतिहासकार हैं और कला इतिहास के क्षेत्र में उन्होंने मौलिक खोज के लिए विद्वानों की अनेकों पीढ़ीयों को प्रभावित किया है और इस समय पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में कला इतिहास के प्रौ. ऐमीरेटस के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। उनको पद्म श्री, पद्म भूषण, टैगोर नेशनल फैलोशिप और अन्य अनेक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। वह भारतीय कला और संस्कृति संबंधी 25 से अधिक किताबों की रचना कर चुके हैं। इस अवसर पर रंगमंच की निर्देशिका नीलम मान सिंह चौधरी के अलावा कला, साहित्य, संगीत, नाटक और प्रशासन की अहम हस्तियां भी मौजूद थे।
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