इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्लीः तमिलनाडु में जल्लीकट्टू खेल के आयोजन पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन अब श्रीलंका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया तक पहुंच गया है जहां तमिल प्रवासियों ने प्रदर्शन किया। ‘लंदन तमिल संगम', ‘वर्ल्ड तमिल आर्गनाइजेशन' और ‘ब्रिटिश साउथ इंडियंस' नामक संगठनों के समूह ने प्रदर्शन किया। इन समूहों ने लंदन मंगलवार और बुधवार को लंदन में भारतीय उच्चायोग के समक्ष प्रदर्शन किया. इंग्लैंड के लीड्स और आयरलैंड के डब्लिन में भी प्रदर्शनों की योजना है। प्रदर्शनकारी समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सैकड़ों लोग इस बात के समर्थन में निकल रहे हैं कि जल्लीकट्टू हमारी परंपरा और पहचान का हिस्सा है। हम इस सप्ताहांत भूख हड़ताल की योजना पर भी काम कर रहे हैं ताकि इस मुद्दे पर ब्रिटेन में जागरुकता पैदा की जा सके। हमें उम्मीद है कि 1,000 से अधिक लोग इन प्रदर्शनों में शामिल होंगे।'' उधर, श्रीलंका के उत्तरी हिस्से के जाफना में भी जल्लीकट्टू के मामले को लेकर प्रदर्शन किया गया जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। जाफना में आयोजित प्रदर्शन शामिल लोगों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा हुआ था कि ‘जब यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है तो इस पर प्रतिबंध क्यों, आस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में भी इस मामले को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया गया। सिडनी में आज प्रदर्शन किया जाना है। श्री श्री ने भी किया समर्थनः वहीं श्री श्री रविशंकर ने भी इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हमें ये समझना होगा कि पोंगल तमिलनाडु का बहुत बड़ा त्योहार है और वहां लोग इस दिन जल्लीकट्टू खेलते हैं। जैसा बिहार में छठ पूजा है, ये वैसा ही त्योहार है। अगर आप हरियाणा में कुश्ती को बैन कर दें तो जनता चुप रहेगी क्या? ये द्रविड़ सभ्यता से जुड़ा खेल है। सुप्रीम कोर्ट का दखल से इनकारः वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई के मरीना बीच पर चल रहे प्रदर्शन मामले में दखल देने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करे। वकील राजारमन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जल्लीकट्टू को लेकर वहां पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदशर्न चल रहा है, लेकिन पुलिस लोगों के साथ ज्यादती कर रही है। पुलिस खाने-पीने की चीजों को भी लोगों तक नहीं पहुंचने दे रही है। सुप्रीम कोर्ट रामलीला मैदान की तरह इस मामले में भी संज्ञान ले।
2014 में लगा बैनः साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद पिछले साल केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर इस पारंपरिक खेल को इजाजत दे दी थी लेकिन सरकार के इस अध्यादेश को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जिस पर अंतिम फैसला आना बाकी है। इसी कारण अभी तक केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अंतिम निर्णय आना अभी बाकी है। इस बीच चेन्नई में पिछले चार दिनों से हजारों लोग सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार से जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध खत्म करने की मांग कर रहे हैं। कल प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम द्वारा प्रदर्शन खत्म करने के अनुरोध को भी ठुकरा दिया।