इंडिया न्यूज सेंटर, शिमलाःशिमला के उपमंडल रोहड़ू से करीब 40 किलोमीटर दूर दुर्गम गांव तांगणू जलकर राख हो गया है। भीषण अग्निकांड में 45 घर जल गए और 52 परिवारों के 250 लोग बेघर हो गए हैं। पूरा गांव मलबे के ढेर में तबदील हो गया। शॉट सर्किट आग लगने का कारण माना जा रहा है। अग्निकांड में करोड़ों से ज्यादा की संपत्ति के नष्ट होने का अनुमान लगाया जा रहा है। आग में करीब सैकडों भेड़ें, 22 गायें, एक जोड़ी बैल, दर्जनों मुर्गे और कुत्ते जिंदा जल गए। कुछ ग्रामीण भी आग बुझाते हुए झुलसे हैं।करीब नौ हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फ से ढके तांगणू (बेनवाड़ी) गांव में शनिवार रात 11 बजे सबसे पहले बेनवाड़ी गांव के संतोष कुमार के घर आग लगी। आग, धुआं और शोर-शराबा देख सोए हुए ग्रामीण मदद को दौड़े। घरों की छत्तों और आंगन में हल्की बर्फ होने के बावजूद काष्ठकुणी शैली में बने लकड़ी के घरों ने आग पकड़ ली।देखते ही देखते लकड़ी के घरों वाले इस पूरे गांव को चपेट में ले लिया। ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासन को सूचित किया। रात दो बजे के बाद अधिकारी मौके पर भी पहुंचे लेकिन आग को बढ़ने से नहीं रोक पाए। पांच घंटे में तड़के चार बजे तक 45 घर जलकर राख हो चुके थे। जब तक मदद के लिए फायर ब्रिगेड पहुंची, पूरा गांव जल चुका था।पुलिस, प्रशासन और पड़ोसी गांवों के लोग राहत कार्यों में जुटे हैं। अग्निपीड़ितों ने बर्फ से ढकी वादियों में माइनस डिग्री तापमान में रात गुजारी। राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी भीषण अग्निकांड पर गहरा दुख जताया है। रविवार को प्रशासन ने फौरी राहत के तौर पर हरेक पीड़ित परिवार को 40-40 हजार रुपये, एक तिरपाल, कंबल, बिस्तर और गैस कनेक्शन उपलब्ध करवाए हैं।डीएसपी रोहड़ू कमल किशोर ने बताया कि संतोष कुमार के एक घर के कमरे में सबसे पहले आग लगी। यहां चूल्हा नहीं था। प्रारंभिक जांच में लग रहा है कि शार्ट सर्किट से ही आग लगी है। डीएफओ चमल लाल राव वन विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और मकान बनाने के लिए टीडी मंजूर करने के निदेश दिए।पूरा गांव तो जलना ही था। शनिवार रात 11 बजे आग लगी। रात दो बजे एसडीएम और डीएसपी मौके पर पहुंच गए, लेकिन न ग्रामीणों ने और न ही जिला प्रशासन-पुलिस ने दमकल विभाग को सूचित किया। रात करीब दो बजे फायर ब्रिगेड को सूचित किया। बर्फीला रास्ता होने के चलते दमकल वाहनों को रोहड़ू से पांगणू पहुंचने में करीब दो घंटे लग गए।चार बजे जब तक राहत पहुंची, पूरा गांव जल चुका था। उप दमकल अधिकारी सेवक राम ने बताया कि उन्हें रात दो बजे मदद के लिए फोन किया गया। विधायक मोहन लाल ब्राक्टा सुबह पांच बजे घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने प्रभावितों की हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।अग्निकांड के बाद 45 परिवारों के 250 सदस्यों के पास तन के कपड़ों के अलावा कुछ नहीं बचा। घरों के अलावा उनका पैसा, गहने, कीमती सामान, राशन, सर्दियों के लिए स्टोर किया हुआ अनाज, पशुधन समेत सब कुछ राख हो गया है। गांव में अधिकांश लोग अनाज की पारंपरिक खेती और भेड़ पालन पर निर्भर थे।कुदरत का करिश्मा देखिए, पूरा गांव राख हो गया, लेकिन गांव के म्हासू मंदिर को आग छू भी नहीं सकी। मंदिर अभी भी सुरक्षित खड़ा है। मंदिर के निचली ओर के घर भी पूरी तरह सुरक्षित हैं।