बीजिंगः अपनी बेहतर जल गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हिमालय से निकलने वाली नदियों के पानी का चीन में बड़ा कारोबार शुरू हो गया है। इन नदियों के पानी की बोतलें लेकर बुधवार को चार्टर ट्रेन तिब्बत से रवाना हुई। यह ट्रेन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की राजधानी ल्हासा से पूर्वी चीन के झेजियांग प्रांत के निंगबो शहर के लिए रवाना हुई है।
यह पानी लेकर रवाना होने वाली मालगाड़ी ट्रेनों के काफिले की पहली ट्रेन है। इस नए कारोबार से भारत को मिलने वाले पानी की मात्रा में कमी होने की आशंका है। तिब्बत के हिमालयी क्षेत्र से उच्च गुणवत्ता वाला पानी लेकर टे्रनों के चीन जाने का सिलसिला अब जारी रहने की उम्मीद है। ल्हासा से इन टे्रनों को बीजिंग, किंगदाओ, झेंझोऊ, ग्वांझोऊ, चेंगदू और लेनझोऊ भेजने की योजना है। 35 बोगियों में 1,890 टन वजनी पानी की बोतलें लेकर ये ट्रेन करीब 4,500 किलोमीटर का सफर छह दिनों में तय करेंगी। तिब्बत को एशिया को जलसंपन्न क्षेत्र कहा जाता है। ऊंचाई पर होने के कारण यह हिमालय के सबसे ज्यादा करीब है।
इस इलाके ने अकेले 2015 में चार लाख टन प्राकृतिक पेयजल पैदा किया लेकिन दुर्गम स्थान होने और यातायात पर होने वाले बड़े खर्च के मद्देनजर इसे मैदानी इलाकों में नहीं भेजा जा सका था। पानी की गुणवत्ता और इसकी बिक्री की संभावना को देखते हुए चीनी कंपनियों ने पानी को लाने के लिए पूरी योजना तैयार की और 2016 के अंत में इसे क्रियान्वित कर दिखाया है। आने वाले दिनों में इस पानी की बिक्री बढ़ने की संभावना है।
इसका उत्पादन अगले पांच साल में 50 लाख टन तक बढ़ाने की योजना है। इससे तिब्बत के विकास के लिए ज्यादा धन उपलब्ध होगा और नई आर्थिक संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। शायद इसी संभावना को ध्यान में रखते हुए चीन ने ब्रह्मापुत्र सहित कई नदियों और उनकी सहायक नदियों पर बांध बनाने हैं। इनसे पेयजल के साथ-साथ बिजली उत्पादन में भी मदद मिलेगी। स्वाभाविक है कि इससे भारत में आने वाले पानी की मात्रा और गुणवत्ता प्रभावित होगी।