` दलितों और महिलाओं के लिए यूपी में हालात बदतर

दलितों और महिलाओं के लिए यूपी में हालात बदतर

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इंडिया न्यूज़ सेंटर, लखनऊ । एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 के मुकाबले 2015 में देश भर में दलितों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले आपराधिक मामलों में गिरावट आई है. जरात में चल रहे दलित आंदोलन ने देश के सामने दलितों और पिछड़ों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे को फिर से राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया है. 2015 में उत्तर प्रदेश दलितों और महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक राज्य रहा. 2015 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 10.9 फीसदी जबकि दलित उत्पीड़न के 18.6 फीसदी मामले दर्ज हुए. गुजरात के उना में दलितों के साथ हुए अत्याचार का मुद्दा अब केवल राज्य में चल रहे सामाजिक आंदोलन तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी धमक राष्ट्रीय राजनीति में भी सुनाई दे रही है. पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में दलों की नजर दलित वोट बैंक पर हैं. और यही वजह रही जब भाजपा शासित गुजरात के उना में गौरक्षा के नाम पर दलितों के साथ हुई गुंडागिरी का मामला सामने आया तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, गुजरात में राजनीतिक जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी और देश की सबसे बड़ी दलित नेता मायावती ने संसद के भीतर और बाहर केंद्र सरकार को घेरने में कोई देर नहीं की. घटना के राष्ट्रव्यापी असर की संभावना का बीजेपी को भली भांति अंदाजा था और उसने तत्काल मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नुकसान की भरपाई करने की कोशिश की. हालांकि विश्लेषकों के एक धड़े की माने तो उना मामले में हुए नुकसान की भरपाई आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे से नहीं हो सकती
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Source: India News Centre

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