India has given a big message to the world from Davos, comes to India, we will welcome
दावोसः विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक के उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। यह पहला मौका है जब 21 साल बाद भारत के किसी पीएम ने वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में भारत का प्रतिनिधितत्व किया। मोदी ने तीन बड़ी चुनौतियों- जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और आत्मकेंद्रित होने की प्रवृत्ति को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने हिंदी में अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की भी भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि 1997 में विश्व आर्थिक संकट से अनजान था। हालांकि, उन्होंने कहा कि उस समय भी दावोस समय से आगे था।
लोकतंत्र जीने का तरीका
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में हमारे लोकतंत्र और विविधता पर गर्व है। विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं, परिधान और व्यंजनों वाले समाज के लिए, लोकतंत्र केवल एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि जीवन का एक तरीका है। महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप का सिद्धांत- किसी की ज़रूरत के अनुसार चीजों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। वह किसी के लालच के लिए इस्तेमाल करने के खिलाफ था आज हम अपने लालच के लिए प्रकृति का शोषण कर रहे हैं। लोकतंत्र की ताकत पर पीएम ने कहा कि वर्ष 2014 में, 30 साल बाद भारतीय मतदाताओं ने केंद्र में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत प्रदान किया। हमने प्रत्येक के विकास के लिए संकल्प लिया, न कि केवल एक विशिष्ट समूह। हमारा आदर्श वाक्य 'सबका साथ सबका विकास' है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की रैंकिंग में बदलाव संकेतक है कि भारत के लोगों ने नीतियों में बदलाव को उनके बेहतर भविष्य के रोड मैप के रूप में स्वागत किया है।
साझा चुनौतियों का सामना
पीएम ने भारत सरकार के सुधारवादी कदमों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांस्फॉर्म की चर्चा की। लाइसेंस परमिट राज को जड़ से खत्म कर रेड कारपेट बिछा रहे हैं। पीएम ने कहा कि भारत महात्मा गांधी के उस विचार को परिलक्षित कर रहा है जब गांधी ने कहा था "मैं नहीं चाहता कि मेरे घर के दरवाजे और खिड़कियां और दरवाजे बंद हों। मैं एक ऐसा घर चाहता हूं जिसकी सभी खिड़कियां और दरवाजे खुले हों, जिसमें हर भूमि और राष्ट्र की सांस्कृतिक पवन होकर गुजरे। हालांकि, ये हवा ऐसी ना हो जो मेरे खुद के पैर उखाड़ दे। वसुधैव कुटुंबकम की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि आज दरारों और दूरियों के मिटाने में यह काफी प्रासंगिक है।
अपने संबोधन में पीएम ने कहा- भारत तोड़ने में नहीं, बल्कि जोड़ने में विश्वास रखता है।
पीएम ने कहा कि हमारे दरारों ने मानव जाति के संघर्ष को और भी कठिन बना दिया है। उन्होंने चुनौतियों के काफी विस्तृत होने और समय का हवाला देते हुए तीन मुख्य चुनौतियां रेखांकित की।
-जलवायु परिवर्तन- पीएम ने कहा कि हमें सोचना होगा कि आर्कटिक के ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं। हमें सोचना होगा कि विकासशील देशों को हम कितना सहयोग कर रहे हैं। माताभूमिपुत्रो्अहं पृथिव्या के सूत्र की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि धरती इस पर रहने वालों की मां है। पीएम मोदी ने कहा कि प्राचीन भारतीय दर्शन समावेशी विकास के लिए काफी अहम है। उन्होंने कहा कि हमें सोचना होगा कि आधुनिकता की इस दौड़ में क्या हमारा पतन हुआ है या हम प्रगति की दिशा में हैं।
-आतंकवाद को संसार के लिए दूसरी बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है गुड और बैड टेररिज्म का आर्टिफिशियल भेद। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पढ़े-लिखे युवाओं का आतंक की राह पकड़ना।
-आत्मकेंद्रित होने की प्रकृति और मनोवृत्तियों को पीएम मोदी ने तीसरी बड़ी चुनौती करार दिया। उन्होंने कहा कि सभी देश भले ही इंटर कनेक्टेड वर्ल्ड की बात करते हों, लेकिन वैश्विकरण की चमक फीकी पड़ती जा रही है। पीएम मोदी ने कहा कि विकासशील देशों और पर इस प्रवृत्ति का बुरा असर पड़ा है।
वर्ष 2018 के WEF की थीम काफी प्रासंगिक है क्योंकि आज डाटा के ग्लोबल फ्लो के कारण ऐसा माना जा रहा है कि जो डाटा को कंट्रोल करेगा वो दुनिया पर राज करेगा। पीएम ने कहा कि दावोस आज भी समय से काफी आगे है।
दुनिया के सामने जटिल नेटवर्क के कारण शांति, सुरक्षा और स्थिरता की चुनौती।
इससे पहले विश्व आर्थिक मंच पर संस्था के अध्यक्ष ने उद्घाटन भाषण देने वाले PM मोदी और भारत में मौजूद व्यवसायिक संभावनाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक पटल पर लगातार अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। उन्होंने भारत की वसुधैव कुटुंबकम की भी चर्चा की।
WEF के अध्यक्ष ने कहा कि पूरा विश्व पीएम मोदी और भारत के वैश्विक विजन को जानने के लिए लालायित है। लगभग चार दशकों से भारत के लगातार सपोर्ट का भी आभार जताया।
इससे पहले पीएम मोदी ने दावोस में वैश्विक कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ बैठक की। भारत को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। आईएमएफ ने अगले वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा, "भारत की विकास को विश्व पटल पर रखने और भारत में वैश्विक कारोबार के अवसरों को पेश करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दावोस में शीर्ष वैश्विक कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक की।"इस सम्मेलन में शिरकत कर रहे महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर कहा, "मुझे आप सबकी तारीफ करने दीजिए। आपने हमने अपनी वैश्विक संगठनात्मक कौशल से गौरवान्वित किया है। विश्व का प्रत्येक सीईओ आपकी मेहमाननवाजी से अभिभूत हो गया था।"
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने ट्वीट कर कहा, "सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधन को सुनने और कई सत्रों में हिस्सा लेने के अलावा मैं तड़के आल्पस में योगा कक्षाओं में शामिल होने को लेकर आश्वस्त हूं। विश्व आर्थिक मंच में भारत की शक्ति का प्रदर्शन हो रहा है।" आईएमएफ ने भारत की विकास दर अगले वित्त वर्ष में 7.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार कम होने की वजह से भारत विश्व की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। इससे पहले सोमवार को मोदी ने स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बर्सेट के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। मोदी के इससे पहले जून 2016 में स्विट्जरलैंड का दौरा किया था। मोदी लगभग 20 वर्षो में डब्ल्यूईएफ में शिरकत करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं, इससे पहले एच.डी.देवगौड़ा ने 1997 में इस सम्मेलन में शिरकत की थी।