इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः देश की राजधानी खतरनाक प्रदूषण की आगोश में है इस बात से देश के सब लोग जानते है। प्रदूषण बढ़ते ही सरकार हर बार इसे दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाने के दावे तो करती है लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरित है। ऐसा नहीं है कि सरकार के पास बजट नहीं है। सर्वोच्य न्यायालय ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर ढाई साल पहले दिल्ली आने वाले ट्रकों से ग्रीन टैक्स वसूलने का आदेश दिया था। दिल्ली सरकार ने ग्रीन टैक्स के नाम पर 787 करोड़ रुपये तो वसूले मगर खर्च महज 93 लाख रुपये ही कर पाई। यह आंकड़े सूचना के अधिकार के तहत मिले जवाब में सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता संजीव जैन ने दिल्ली में प्रदूषण से परेशान होकर इसे लेकर दिल्ली सरकार में आरटीआई लगाई। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री से कौन पुछे कि ग्रीन बेल्ट पर पैसा खर्च क्यों नही किया है।सरकार से पूछा की सुप्रीम कोर्ट ने ट्रकों से इनवायरमेंटल कंपनसेशन सेस (ईसीसी) लगाने का आदेश अक्तूबर 2015 में दिया था। उसके बाद से अब तक दिल्ली सरकार ने कितना पैसा टैक्स के रूप में वसूला। इन पैसों में से कितना पर्यावरण संरक्षण पर खर्च किया गया। दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग की ओर से मिले जवाब में जो आंकड़े सामने आए उसके मुताबिक सरकार ने करीब ढाई साल में 787 करोड़ रुपये वसूले लेकिन खर्च महज 93 लाख रुपये ही किया। जबकि इन पैसों से दिल्ली में साइकिल ट्रैक, परिवहन व्यवस्था समेत अन्य काम करने थे, जिससे पर्यावरण को बचाकर प्रदूषण को कम किया जा सके। बताते चलेें कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर 2015 में पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर दिल्ली आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने का आदेश दिया था। इसके तहत हल्के व्यवसायिक वाहनों पर 700 रुपये और भारी वाहन पर 1300 रुपये का टैक्स लगाया था। दक्षिणी नगर निगम को इसकी नोडल एजेंसी बनाया गया। यह पैसा सरकार के खाते में जाता था। दिल्ली में कुल 13 अधिकृत और 111 अनधिकृत इंट्री प्वाइंट हैं, जहां से करीब 50 हजार ट्रक प्रवेश करते है।
साल दर साल कितना पैसा वसूला
वर्ष रुपया (करोड़ में बढ़ता हुआ)
2015 50.65 करोड़
2016 386 करोड़
2017 सितंबर तक 787 करोड़
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93.00 लाख रुपये अभी तक खर्च किया है।
ग्रीन टैक्स
2015 नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने किया था शुरू।
700 रुपये हल्के व्यावसायिक वाहनों के लिए।
1300 रुपये भारी मालवाहक वाहनों से।