` दुर्लभ हिमतेंदुआ कैमरे में कैद

दुर्लभ हिमतेंदुआ कैमरे में कैद

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इंडिया न्यूज़ सेंटर, देहरादून। उत्तराखंड वन विभाग की झोली में वन्य जीव के मामले में बड़ी ख़ुशी सामने आई है। शिड्यूल एक में शामिल स्नो lepored यानि हैं हिम तेंदुआ मिला है।जो बेहद दुर्लभ ही दिखता है और इसके पगचिन्ह भी कम ही मिलते हैं। लेकिन केदारनाथ वन्य प्रभाग के उच्च हिमलायी क्षेत्र में शनिवार को चार हिम तेंदुए दिखाई दिए। मदमहेश्वर घाटी में लगे सीसी टीवी कैमरों में अलग-अलग स्थानों पर हिम तेंदुए के पद चिह्न कैद हुए हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुए की मौजूदगी जानने के लिए केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग की ओर से बीते नवंबर में जगह-जगह सीसी टीवी कैमरे लगाए गए थे। जब प्रभागीय अधिकारियों ने कैमरों को खंगाला, तो मदमहेश्वर घाटी और कासनीताल क्षेत्र में चार हिम तेंदुओं के पद चिह्न कैमरे में कैद हुए हैं, जिससे वन अधिकारियों ने हिम तेंदुओं की संख्या बढ़ने लगी है। इन तेंदुओं की पहचान मल के डीएनए से की जाती है। 1985 में दिखा था पहला हिम तेंदुआ चमोली जिले में सबसे पहले वर्ष 1985 में हिम तेंदुआ देखा गया था। इसी दौरान सौखर्क में वनस्पतियों पर रिसर्च कर रहे एक विदेशी छात्र को हिम तेंदुआ दिखा था। नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व की ओर से वर्ष 2004 में की गई स्तनधारी प्रजातियों की गणना में अभी तक हिमालय क्षेत्र में कुल चार-पांच हिम तेंदुओं का अप्रत्यक्ष प्रमाण मिला था, लेकिन अब कैमरों से इनकी संख्या बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। वैसे अभी तक 600 से 700 हिम तेंदुए होने के संकेत हैं। ‘केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के तहत मदमहेश्वर घाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस वर्ष चार हिम तेंदुओं के पद चिह्न सीसी टीवी कैमरों में कैद हुए हैं, जो तेंदुओं की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी का संकेत दे रहे हैं।शनिवार को चार तेंदुओं के पद चिह्न कैद किए गए हैं।’
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Source: india news center

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