इंडिया न्यूज सेंटर, लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने दो कैबिनेट मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया. बताया जाता है कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार मामले में मंत्रियों की संलिप्तता के कारण की गई है, वहीं बीजेपी का आरोप है कि सीएम यह कवायद खुद को बचाने के लिए कर रहे हैं. जबकि मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश के इस फैसले पर बोला कि मुझे तो इस बारे में कुछ पता नहीं है. साथ ही यह भी कहा कि सभी मंत्री मेरे करीबी हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, साढ़े 4 साल तक मंत्री लूट खसोट और भ्रष्टाचार में जुटे रहें. अब जब सीबीआई की जांच खुद मुख्यमंत्री तक पहुंच रही है और मुख्यमंत्री को लगा कि वह भी इसके लपेटे में आ जाएंगे तो उन्होंने अपने मंत्री को बर्खास्त कर दिया. लेकिन इससे कुछ होने वाला नहीं है. जनता उन्हें नकार चुकी है. बता दें कि सोमवार को एक घंटे के भीतर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने दो कैबिनेट मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया. मुख्यमंत्री ने राज्यपाल राम नाइक को दोनों को बर्खास्त करने के बारे में चिट्ठी भेज दी है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के सलाहकार को इन दोनों मंत्रियों को हटाने की पुष्टि कर दी है. कोर्ट के फैसले के बाद सीएम की कार्रवाई माना जा रहा है कि गायत्री प्रजापति को बर्खास्त करने के पीछे सबसे बड़ी वजह इलाहाबाद हाई कोर्ट का वह आदेश रहा, जिसमें प्रदेश में अवैध खनन को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं. हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका के ऊपर सुनवाई करते हुए 20 जुलाई को यह आदेश दिया था. इसमें कहा गया, अवैध खनन के बारे में सरकार ने जो दलील दी है वह मानने लायक नहीं है और इसकी सीबीआई से जांच करवाई जाए. सीबीआई जांच से बचने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट की रिवीजन बेंच में अपील की थी. लेकिन शुक्रवार को हाई कोर्ट सरकार की अपील ठुकरा दी और सीबीआई को निर्देश दिया कि 6 हफ्ते के भीतर वह इस मामले के बारे में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपे. चुनाव की सरगर्मी के बीच अवैध खनन को लेकर सीबीआई की जांच अखिलेश सरकार को नागवार गुजरी है. विवादों से रहा है पुराना नाता अमेठी से समाजवादी पार्टी के विधायक गायत्री प्रजापति कांग्रेस नेता संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे थे. वह मुलायम सिंह के करीबी माने जाते हैं और उनकी गिनती उत्तर प्रदेश के रसूख वाले मंत्रियों में होती थी. लेकिन गायत्री प्रजापति पहले भी विवादों में रहे हैं. करोड़पति होने के बजाए गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए बनी कन्या विद्याधन अपनी बेटी को दिलाने के मामले में उनके खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत हुई थी. दूसरी ओर, बस्ती के हरैया से विधायक राजकिशोर सिंह पर भी भ्रष्टाचार और बस्ती में जमीन कब्जा करने के आरोप लगे थे. पंचायती राज के अलावा उनके पास लघु सिंचाई और पशुधन विभाग भी थे. माना जा रहा है कि इन दोनों दागी मंत्रियों को हटाकर अखिलेश यादव अपने सरकार की इमेज सुधारना चाहते हैं. 942 करोड़ रुपये की संपत्ति सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर की ओर से लोकायुक्त के यहां दाखिल शिकायत के मुताबिक, मंत्री बनने के दो साल के भीतर ही गायत्री प्रजापति की संपत्ति 942.5 करोड़ रुपये हो गई. हालांकि खुद के बचाव के मंत्री ने करीबियों के नाम पर संपत्तियां खरीदीं. गायत्री प्रजापति के पास मौजूदा समय में बीएमडब्ल्यू से लेकर तमाम लग्जरी गाड़ियां हैं