इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: अंतराराष्ट्रीय बाजार में लगातार पीली धातु की मांग घटने और अमेरिका में ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद बदली परिस्थितियों में सोने के प्रति रुझान लगातार घटा है। इसके अलावा कॉमेक्स और इंटरनेशल एक्सचेंज पर भी गोल्ड के बजाय क्रूड ऑयल पर दांव लगाया गया है। जिसकी वजह से तेल की कीमतों में तो बढ़ोत्तरी हो सकती है लेकिन सोने की कीमतें लगातार घटने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है ऐसे में जनवरी के पहले पखवाड़े में सोने की कीमतें 26 हजार के आसपास भी पहुंच सकती हैं। नोटबंदी के बाद देश में सोने की खपत में लगातार गिरावट आई है। जिसका असर इसकी कीमतों पर भी पड़ रहा है, नोटबंदी के दौरान 31 हजार के आसपास चल रहा सोना फिलहाल 27 से 28 हजार रुपये प्रति तोले के आसपास झूल रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में कोई सुधार की उम्मीद नहीं है। इसका बड़ा कारण है कि अमेरिका में कॉमेक्स और इंटरनेशनल एक्सचेंज पर ट्रेडर्स ने भी अगले साल के लिए सोने की कीमतों पर कम दांव लगाया है, बल्कि इसके मुकाबले क्रूड की कीमतों पर ट्रेडर्स का ज्यादा ध्यान है। इसका असर इन दोनों की कीमतों पर दिख रहा है। मसलन, क्रूड की कीमत लगातार बढ़ रही हैं और सोने की कीमतों में कमी होती जा रही है। जानकारी के अनुसार कॉमेक्स पर फरवरी में खत्म हो रहे ऑप्शंस से संकेत मिल रहा है कि गोल्ड 1,100 डॉलर प्रति औंस के नीचे चला जाएगा। ऑप्शंस का प्राइस 8.10 डॉलर चल रहा है। अमेरिका में ट्रंप के जुने जाने के बाद इस रुझान पर ज्यादा असर पड़ा है। जैसे, ट्रंप के जीतने के बाद से गोल्ड के ऑप्शंस प्राइस 30 डॉलर के अपने एवरेज प्राइस से नीचे चले गए और शुक्रवार को ये केवल 3.6 डॉलर रह गए। ऐसे में तमाम रुझानों के बाद इस बात का आंकलन लगाया जा रहा है कि सोने की कीमतें अगले साल की शुरूआत में 26000 के आसपास रह सकती हैं।