NO QUESTION OF SIDHU RESIGNING OVER ROAD RAGE CASE, SAYS PUNJAB CM
MAINTAINS THAT GOVT COULD NOT HAVE TAKEN U-TURN IN SC WITHOUT NEW EVIDENCE
सरकार द्वारा नये सबूत के बिना सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष न बदल सकने की बात को दोहराया
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगड़: स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उसके विरूद्ध माननीय सुप्रीम कोर्ट में केस के मद्देनजऱ राज्य मंत्रालय से इस्तीफ़ा देने संबंधित कयासों पर नकेल डालते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रविवार को स्पष्ट कहा कि मंत्री का पद छोडऩे के लिए कहने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि सडक़ पर झगड़े से संबंधित केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2007 में नवजोत सिंह सिद्धू की सज़ा पर रोक लगा दी थी और हाई कोर्ट के सज़ा वाले आदेशों को चुनौती के खि़लाफ़ सिद्धू की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने अभी फ़ैसला सुनाना है। उन्होंने कहा कि इस 30 वर्ष पुराने केस में राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में केवल अपना पक्ष दोहराए जाने के आधार पर मंत्री सिद्धु से इस्तीफ़ा मांगने का सवाल ही पैदा नही होता। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सज़ा पर रोक के कारण सिद्धू को मंत्रालय में शामिल करने के समय न तो कोई रुकावट थी और न ही अब उनके मंत्री बने रहने में कोई अड़चन है। सिद्धू से इस्तीफ़ा मांगे जाने संबंधित रिपोर्टों और विरोधी पक्ष द्वारा कैबिनेट मंत्री के इस्तीफे की मांग उठाए जाने के दौरान मुख्यमंत्री का यह स्पष्टीकरण आया है। सिद्धू के खि़लाफ़ इस केस में उनकी सरकार की तरफ से अपना पक्ष न बदले जा सकने वाली बात को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने फिर उम्मीद ज़ाहिर की कि इस केस का फ़ैसला करते समय जज द्वारा सिद्धू के समाज और देश प्रति योगदान को ध्यान में रखा जायेगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले के मौजूदा घटनाक्रम को दुखद करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केवल कानूनी तौर पर व्यावहारिक पक्ष ही लिया है।सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस मंत्री का जानबूझ कर समर्थन न किये जाने संबंधी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक सरकारी वकील को इस केस से जुड़ी कोई नयी जानकारी नही मिलती, तब तक उसके लिए नया पैंतरा लेना कानूनी तौर पर संभव नहीं है। राज्य सरकार के वकीलों ने निचली अदालत और हाई कोर्ट में ख़ास नुकते-नजऱ से पक्ष रखा था और किसी नये सबूत की अनुपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट के सामने पक्ष बदलने का कोई रास्ता नहीं था। मुकम्मल तौर पर कानूनी पक्ष को ध्यान में रखते मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी वकील को तथ्यों के साथ बंधे रहना और इसकी रक्षा करने का फर्ज है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास निचली अदालत और हाई कोर्ट में यू-टर्न लेना कोई विकल्प नहीं था।