Navjot Sidhu stranded in trouble, political career at stake, if convicted for 3 years ...
नवजोत सिंह सिद्धु का करियर लग सकता है दांव पर,तीन साल की सजा अगर रही बरकरार तो.......
पंजाब सरकार ने वीरवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 30 वर्ष पुराने रोड रेज मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराए जाने का फैसला सही है
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढः पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू एक बहुत बड़ी परेशानी में फंस गए हैं। जिस वजह से उनकी सियासी करियर भी दांव पर लग गया है। पंजाब सियासत में हड़कंप मच गया है। मामला है 30 साल पुराना रोडरेज का, जिसमें सिद्धू को निचली अदालत ने तो आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने फैसले को पलटते हुए सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया और तीन वर्ष कैद भी सजा सुना दी थी। सिद्धू ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सिद्धू पर 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में सड़क पर 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से तू-तू-मैं-मैं के बाद मुक्का मारने से गुरनाम की मौत का आरोप है। फिलहाल उनकी सजा पर रोक है और केस की सुनवाई जारी है। मृतक के परिजनों ने पिछली सुनवाई के दौरान सिद्धू द्वारा 2012 में एक चैनल को दिए इंटरव्यू को सबूत के तौर पर पेश किया था। इसमें सिद्धू ने स्वीकार किया था कि उनकी पिटाई से ही गुरनाम सिंह की मौत हुई थी। वीरवार को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि सिद्धू ने यह झूठ कहा था कि वह उस समय घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे। पंजाब सरकार ने वीरवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 30 वर्ष पुराने रोड रेज मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराए जाने का फैसला सही है। सिद्धू अभी पंजाब सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री हैं। सरकार के कोर्ट में दिए इस बयान ने सिद्धू की परेशानी को ओर बढ़ा दी है। पंजाब सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गलत फैसला सुनाया था कि गुरनाम सिंह की मौत हृदयगति रुकने से हुई थी, न कि ब्रेनहैमरेज से। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलट दिया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
राजनीतिक दायरे में हलचल हुई तेज
पंजाब सरकार के इस स्टैंड से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। बेशक जब यह केस दर्ज हुआ था तब सिद्धू कैबिनेट मंत्री नहीं थे और केस पंजाब सरकार बनाम सिद्धू था। लेकिन इस समय परिस्थितियां विपरित हैं और सिद्धू खुद सरकार का हिस्सा हैं। इसके बावजूद पंजाब सरकार के स्टैंड ने राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी तेज कर दी है। इस स्टैंड को कई तरह से देखा जा रहा है। सिद्धू अक्सर ही सरकार के लिए परेशानी का सबब बनते रहे हैं। वह चाहे अकाली नेता बिक्रम मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा हो, या फिर रेत, शराब, ट्रांसपोर्ट और ड्रग्स माफिया का। सीएम के पास गृह विभाग है पर पिछले दिनों सिद्धू ने एसटीएफ द्वारा हाईकोर्ट में दी सीलबंद रिपोर्ट मीडिया के सामने पेश कर मांग कर दी थी कि मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई की जाए। आम आदमी पार्टी शुरू से आरोप लगाती रही है कि सरकार ड्रग माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई से बचती रहती है। इस संबंध में सिद्धू के बयान सीएम और सरकार को मुसीबत में डालते रहे हैं। अब पंजाब सरकार का अपने ही मंत्री के खिलाफ लिया गया स्टैंड सिद्धू के लिए मुश्किल बन सकता है।