न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर 2016 को लागू किए गए नोटबंदी के फैसले की अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने तीखी आलोचना की है और इस कदम को अत्याचारी बताया है। अखबार ने इस फैसले को मानव निर्मित संकट करार दिया और कहा कि अत्याचारी तरीके से बनाए और लागू किए गए नोटबंदी के फैसले ने आम लोगों के जीवन को काफी कठिन बना दिया है। साथ ही अखबार ने इस बात पर भी सवाल खड़े किए हैं कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार और कालेधन पर अंकुश लगा है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने द कॉस्ट ऑफ इंडियाज मैन-मेन करंसी क्राइसिस नाम से संपादकीय में लिखा, इस बात के बहुत कम सबूत हैं कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिली है और ना ही इस बात की गारंटी है कि इस तरह के क्रियाकलापों पर भविष्य में रोक लग पाएगी जब सिस्टम में ज्यादा कैश वापस आ जाएगा। भारतीय सरकार द्वारा चलन में मौजूद करंसी को बाहर करने के फैसले के दो महीने हो चुके हैं और इससे अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सिकुड़ रहा है, रियल एस्टेट और कारों की बिक्री नीचे आ चुकी है। अखबार ने लिखा, नोटबंदी का फैसला अत्याचारी तरीके से बनाया और लागू किया गया। कैश निकालने और जमा करने के लिए भारतीयों को घंटों लाइन में लगना पड़ा है। नए नोटों की कमी है क्योंकि सरकार ने अडवान्स में इसकी छपाई नहीं की। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में कैश की किल्लत काफी ज्यादा है। कई भारतीयों का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वे थोड़ी तकलीफ सहने को तैयार हैं लेकिन कैश की किल्लत खत्म नहीं हुई और नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ तो उनका धैर्य ज्यादा समय तक नहीं टिकेगा।