इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद डिजिटाइजेशन को लेकर सरकार लगातार कदम उठा रही है। अब धीरे-धीरे आम जनता सरकार का साथ दे रही है। शायद यही कारण है कि अब एटीएम की संख्या भी घटने लगी है। नोटबंदी के बाद से अबतक 358 एटीएम बंद हो चुके हैं। उसके पहले हर साल एटीएम की संख्या बढ़ती जा रही थी। अगस्त तक के उपलब्ध आकंड़ों के मुताबिक एसबीआई के पास 59,200 एटीएम हैं। पहले इसकी संख्या 59,291 थी। इसी तरह से पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम की संख्या 10,083 है। पहले इसकी संख्या 10,502 थी। निजी बैंकों के एटीएम की संख्या लगातार घटती जा रही है। एचडीएफसी के एटीएम की संख्या घटकर 12,225 हो गई है। एटीएम के घटने की प्रमुख वजह लोगों का डिजिटाइजेशन को लेकर उत्सुकता है। बैंक के जानकारों की मानें तो एक एटीम के रखरखाव में लाख रुपये तक का खर्च आ जाता है। इसमें 10 हजार के आसपास किराया लगता है। उसके बाद सिक्यूरिटी फोर्सेस, मैंटनेंस, बिजली बिल, एसी आदि वगैरह जोड़ दिया जाए, तो करीब-करीब एक लाख रुपये खर्च होते हैं। जो एटीएम साल पुराने हो गए हैं, बैंक उन्हें आमतौर पर हटा देते हैं। इसके बाद नया लगाया जाए या नहीं, नोटबंदी के बाद उस पर दोबारा विचार कर रहे है।