इंडिया न्यूज सेंटर, लखनऊ: नोट बैन के दौर में रोचक मामला सामने आया है। यहां एक कारोबारी को चालीस लाख के चिल्लर बैंक में जमा कराने के लिए हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। बैंकों ने नोटबंदी के बाद काम ज्यादा होने की वजह से पैसे जमा करने से इन्कार कर दिया। बेेकरी कारोबारी संदीप आहूजा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका में दायर कर अपने पैसे जमा कराने की गुहार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबासाहेब भोसले और जस्टिस राजन रॉय ने राहत देते हुए बैंकों को निर्देश दिए कि वे कारोबारी के पैसे जमा करें। इसके बाद बैंकों ने एक जनवरी 2017 से हर रोज बैंक कार्य दिवसों में दोपहर तीन से चार बजे के बीच यह रकम पांच-पांच हजार रुपये करके जमा करने पर हामी भरी। याची के अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि संदीप आहूजा की ब्रेड और रस्क की ऐशबाग में फैक्ट्री है। उसके पास करीब चालीस लाख रुपये इकट्ठे थे। यह राशि एक, दो, पांच और दस रुपये के मूल्य वर्ग में है। उनके इलाहाबाद बैंक की हुसैनगंज शाखा व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मिल एरिया ऐशबाग शाखा में खाते हैं। वे जब यहां पैसा जमा करवाने जाते हैं तो बैंक स्टाफ इसे लेने से मना कर देता है। ऐसे में उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। याचिका में कहा गया कि यह करंसी भारत सरकार द्वारा जारी की गई है और इसे अगर लेने से बैंक ही इन्कार करेंगे तो यह गलत है। उन्होंने अपनी याचिका में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल को भी प्रथम प्रतिवादी बनाया है।