इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: नोटबैन का असर उद्योगों पर भी काफी पड़ा है। इन्हीं उद्योगों में शामिल चमड़ा उद्योगों के उत्पादन में साठ प्रतिशत गिरावट आ गई है। इस गिरावट के कारण 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गए हैं। उद्योग मण्डल एसोचैम के ताजा अध्ययन के मुताबिक नोटबैन के बाद नकद लेन-देन में परेशानी आ रही है। इस कारण चमड़ा निर्माण के लिए जानवरों की खालें नहीं मिल पा रही हैं। देश के प्रमुख चमड़ा क्लस्टरों आगरा, कानपुर और कोलकाता में नोटबंदी के कारण खालों की उपलब्धता में 75 प्रतिशत तक गिरावट आई है। चेन्नई के चमड़ा कारखानों में यह गिरावट करीब साठ प्रतिशत की है। अध्ययन के अनुसार नकदी में भुगतान नहीं होने की वजह से कसाई चमड़ा उद्योगों को जानवरों की खालें नहीं दे रहे हैं। इसके अलावा चर्म उद्योग इकाइयां वाहन चालकों को नकदी नहीं दे पाने के कारण खालों को अपने पास नहीं मंगवा पा रही हैं। साथ ही नोटबंदी के कारण चमड़ा कारखानों का ब्वायलर चलाने में इस्तेमाल होने वाले कोयले की आपूर्ति में आई गिरावट ने भी इस उद्योग के लिए मुश्किलेें बढ़ा दी हैं। आगरा, कानपुर, चेन्नई और कोलकाता के चमड़ा उद्योग क्लस्टरों के अनेक प्रतिनिधियों का कहना है कि मौजूदा सूरतेहाल के मद्देनजर वे नये आर्डर भी नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि समय से तैयार माल की आपूर्ति नहीं हो सकेगी। नोटबंदी से हो रहे इस नुकसान से उबरने में इस उद्योग को 9 से 12 महीने लग सकते हैं।