इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढः पंजाब विधानसभा द्वारा आज विभिन्न क्षेत्रों में अहम सुधार करने संबंधी 13 अहम बिल, जिन में को-आप्रेटिवज़ एक्ट, एक्साईज और स्कूल शिक्षा आदि शामिल हैं, को पास कर दिया गया।15वीं विधान सभा के तीसरे सत्र के आखिऱी दिन स्पीकर द्वारा सत्ता पक्ष और विरोधी पक्ष के विधायकों की विस्तारपूर्वक बहस के बाद में यह बिल पास कर दिए गए। इससे पहले संसदीय मामलें संबंधीे मंत्री श्री ब्रह्म महिन्द्रा द्वारा स्पीकर से वैधानिक कार्यो की मंजूरी ले ली गर्ई। ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री स. तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा द्वारा दा पंजाब को-आपरेटिव सोसाईटीज़ (दूसरा संशोधन), बिल, 2017 पेश किया गया, जिसको सदन के मैंबर द्वारा लम्बी बहस बाद में जुबानी वोट के द्वारा पास कर दिया गया। बाजवा ने कहा कि इस बिल से राज्य की को-आपरेटिव मुहिम को सुचारू रूप में चलाने के लिए ज़रूरी संशोधन कि ये गये हैं। इनके अंतर्गत पंजाब को-आपरेटिव सोसाईटीज़ एक्ट, 1961 की धारा 13 को संशोधित करने का प्रस्ताव है जिससे सदस्यों या सोसाईटियों के लेनदारों को, जो कि रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाईटीज़ के आदेश से प्रभावित हुए हैं, सुनवाई का मौका मिलेगा जो कि जायदादों, देनदारियोंं और वितरण से सम्बन्धित है। मुद्दो के निपटारे के लिए सरकार का हुक्म आखिऱी होगा। एक्ट की धारा 19 में संशोधन का मकसद एक को-आप्रेटिव सोसाइटी को वह अधिकार देने का है जिसके अंतर्गत वह सोसाइटी के एक मैंबर को, जो कि पात्र हो, दूसरी सोसाइटी में नामज़द कर सके और ऐसे नियुक्त मैंबर का कार्यकाल जिस सोसाइटी की बेैठक में उसकी नियुक्ति हुई है, उसकी शर्तों अनुसार होगा। इस एक्ट के दूसरे संशोधन जो कि धारा 26 और 27 के साथ सम्बन्धित हैं, को विस्तृत रूप में ज़रुरी सैक्शन में जोड़ा गया है और यह साफ़ किया गया है कि सोसाइटी, जब इसका अस्तित्व न रहे या यह कायम न की जाये या निरस्त या रद्द कर दी जाये, जैसे भी मामला हो, में किसी प्रशासक के नियुक्त किये जाने वाले समय का अनुमान लगाने के समय न्यायिक कार्यवाही बीच की देरी पर विचार नहीं किया जायेगा। एक्ट की धारा 69 में संशोधन के अनुसार ऐसे किसी भी हुक्म पर फिर विचार नहीं होगा जिन में सैक्शन 68 के अंतर्गत अपील का प्रावधान हो, रजिस्ट्रार द्वारा किये गए विचार को फिर विचारा नहीं जायेगा, कोआपरेटिव सोसाईटियोंं और संस्थानों के सर्विस नियमों के अंतर्गत के पास किये हुक्म फिर विचारे नहीं जाएंगे और रजिस्ट्रार या उसके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा कानूनी लिटीगेशन घटाने के लिए पास किये दफ़्तरी हुक्म फिर विचारे नहीं जाएंगे। पंजाब एक्साईज (दूसरी संशोधन) बिल, 2017, जो कि विस्तृत विचार चर्चा बाद जुबानी वोट के द्वारा पास किया गया, वित्तमंत्री स. मनप्रीत सिंह बादल द्वारा पेश किया गया। इस का मकसद दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी को रोकना है और सरकारी राजस्व को सुरक्षित करना है। इसका मंतव्य यह भी है कि राज्य निवासियों को मनज़ूरशुदा शराब मुहैया करवाई जाये और पंजाब एक्साईज एक्ट 1914 की धाराओं 72, 78 और 81 में संशोधन के बाद पंजाब में शराब तस्करी करके लाने के लिए सज़ा ओैर सख्त की जाए। दा पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (संशोधित) बिल, 2017 शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी द्वारा पेश किया गया। इस बिल में यह प्रावधान है कि पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड एक्ट, 1969 में ज़रूरी संशोधन की जाएँ। यह भी फ़ैसला किया गया कि चेयरमैन के पद पर उस व्यक्ति की भर्ती की जाये जिस के पास केंद्र या राज्य सरकार या दोनों में सेवा निभाने का अनुभर्व बतौर आई ए यह या पी सी यह 15 वर्ष के समय से कम न हो। इसके अलावा यह भी फ़ैसला किया गया कि राज्य सरकार द्वारा बोर्ड के सचिव की नियुक्ति की जायेगी, जो कि आई ए एस या पी सी एस अधिकारी होगा और जिसका पद अतिरिक्त सचिव से कम का न हो। इस के अलावा पाठ्यक्रम स्टेट कौंसिल आफ एजुकेशन रिर्सच एंड प्रशिक्षण (एससीईआरटी), पंजाब के साथ सलाह परामर्श के बाद तय किया जायेगा। इस बिल संबंधी बहस को समाप्त करते हुये श्रीमती अरुणा चौधरी ने विरोधी पक्ष को राज्य सरकार द्वारा राज्य में स्कूली शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाने के लिए की जा रही पहलकदमियों का लोगों के बड़े हित को मुख्य रखते हुए समर्थन करने की अपील की। उन विरोधी पक्ष को कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व के अंतर्गत राज्य सरकार की तरफ से उठाये गए शिक्षा सुधारों के कदमों बारे झूठा प्रचार करने से गुरेज़ किया जाये। पंजाब के गवर्नर द्वारा जारी आरडीनैंसों की जगह तीन ओैर बिल भी सदन की तरफ के पास किये गए हैं, जिन में पंजाब ऐग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट (तीसरा संशोधन) बिल 2017,पंजाब रुरल् अमैडमैंट बिल, 2017और दा अमृतसर वाल्ड सीटी (रिकोगनाईजड़ यूजेज़) बिल, 2017 शामिल थे, जो कि क्रमवार स. मनप्रीत सिंह बादल, स. तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा और स्थानीय निकाय मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पेश किये गए थे। तीन अन्य बिल जिन में पंजाब फोरफीचर आफ इललीगली एक्वायर्ड प्रापर्टी बिल, 2017, पंजाब स्टेट फारमरज़ एंड फार्म वर्करज़ कमीशन बिल, 2017 और पंजाब स्टेट कौंसिल फार एग्रीकल्चरल एजुकेशन बिल 2017 शामिल हैं, को मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा विचार विमर्श के लिए पेश किया गया था और बाद में सदन द्वारा पास कर दिया गया। वैधानिक मामलों संबंधी मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा द्वारा पंजाब लैंड इम्परूवमैंट स्कीम (संशोधन) बिल, 2017 और पंजाब लैंड रिफारमज़ (संशोधन) बिल, 2017 पेश किये गए थे जिनको संसद के सदस्यों द्वारा जुबानी वोट के द्वारा पास किया गया। तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी और वित्त मंत्री मनपी्रत सिंह बादल द्वारा क्रमवार महाराजा रणजीत सिंह टैकनिकल यूनिवर्सिटी पंजाब दूसरा संशोधन बिल, 2017 और पंजाब इनफरास्टरक्कचर (डिवैल्पमैंट एंड रैगूलेशन) दूसरा संशोधन बिल, 2017 पेश किये गए। इससे पहले ब्रह्म महिन्द्रा ने ख़ास तौर पर विरोधी पक्ष के सदस्यों को भरोसा दिलाया कि पंजाब विधान सभा के निर्धारित दिशा निर्देशों अनुसार उन को पढऩे और तैयारी के लिए बिल आगामी तौर पर सौंपे जाएंगे जिससे वह बिल की सामग्री को पूरी तरह समझ सकें और सदन दौरान इस संबंधी रचनात्मक चर्चा कर सकें।