PUNJAB GOVERNMENT INKS MoU WITH NEERI
TURNING EYESORES INTO LUNGS OF CITIES, ‘NALLAHS’ TO TURN INTO GREEN BELTS WITH TOXIC SUCKING PLANTS IN ‘NALLAHS’ : NAVJOT SINGH SIDHU
GOVERNMENT TO CLEAN & BEAUTIFY 'NALLAHS' IN HI-TECH MANNER
PROJECT TO BE LAUNCHED IN PHASED MANNER IN CITIES
नालों को ग्रीन बेल्ट में किया जायेगा परिवर्तित और लगाऐ जाएंगे पौधे: नवजोत सिंह सिद्धू
सरकार द्वारा उच्च स्तरीय तकनीक से होगी नालों की सफ़ाई और सौंदर्यकरण का कार्य
शहरों में चरणबद्ध ढंग से शुरू होगा प्रोजेक्ट
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगड़: पंजाब के बड़े शहरों में बहते खुले नालों की समस्या का उचित ढंग से निवारण किया जायेगा और इन नालों को ग्रीन बैल्ट में तबदील किया जायेगा। पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री स.नवजोत सिंह सिद्धू ने आज यहां यह खुलासा पंजाब सरकार और नेशनल इनवायरनमैंटल इंजीनियरिंग रिर्सच इंस्टीट्यूट (नीरी) के मध्य हुए एक समझौते के अवसर पर किया। इस समझौते पर पंजाब के स्थानीय निकाय विभाग के प्रमुख सचिव ए.वेनू प्रसाद और नीरी के प्रमुख एवं वैज्ञानिक डा.एस.के गोयल की ओर से हस्ताक्षर किये गये। इस अवसर पर स्थानीय निकाय विभाग, पंजाब के सलाहकार डा. अमर सिंह, डायरैक्टर करनेश शर्मा, सी.ई.ओ. पंजाब म्यूंसिपल इनफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट कंपनी (पी.एम्म.आई.डी.सी.) श्री अजोय शर्मा और ‘नीरी’ के सीनियर वैज्ञानिक डा.रमन शर्मा भी मौजूद थे। नालों की दयनीय हालत को पंजाब के लिए चिंताजनक बताते हुए स. सिद्धू ने बताया कि ये नाले कई स्थानों पर ढके हुए हैं और इन पर दुकानें बना ली गई थीं जिस कारण इनमें से गार निकालने का कार्य काफ़ी मुश्किल हो गया था। उन्होंने कहा कि राज्य के नालों में औद्योगिक इकाईयां, मरे हुए पशुओं और अन्य इमारती समान और मलबा आदि फेंके जाने के कारण यह ज़हरीला रूप इख्तियार कर गए थे और इस समस्या से निपटने के लिए किसी उचित हल की ज़रूरत थी, जो कि अब ढूंढ लिया गया है। स्थानीय निकाय मंत्री ने आगे बताया कि इन नालों की सफ़ाई का प्रोजेक्ट इस वर्ष के मार्च माह से चरणबद्ध ढंग से पंजाब के शहरों में शुरू किया जायेगा, जिनमें अमृतसर, पटियाला, जालंधर और लुधियाना का बुड्डा नाला शामिल होगा। इस अवसर पर ‘नीरी’ की टीम द्वारा इस प्रोजेक्ट संबंधित एक प्रैजेंटेशन दी गई। स. सिद्धू ने और जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट के मुकम्मल होने से गंदे नाले साफ हो जाएंगे और ‘नीरी’ की तकनीक के कारण इन नालों में पौधे भी उगाऐ जाएंगे। इतना ही नहीं बल्कि उच्च स्तरीय तकनीक की मदद से पानी की सफ़ाई का कार्य भी संपूर्ण किया जायेगा और यह पानी सफ़ाई के बाद बाग़बानी और यहां तक कि कृषि के लिए भी प्रयोग किया जा सकेगा। उन्होंने आगे बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एस.टी.पी.) की क्षमता सुधारने और रख-रखाव की लागत एस.बी.आर. तकनीक इस्तेमाल किये जाने का एक चौथाई हिस्सा होगी। स.सिद्धू ने आशा व्यक्त की कि इस प्रोजेक्ट संबंधित सब कार्यवाहियां पूरी होने के बाद आगामी 2 वर्षो में मौजूदा स्थिति में अद्भुत और सकारात्मक बदलाव आऐगा।
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