` पंजाब सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में कृषि नीति लाएगी

पंजाब सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में कृषि नीति लाएगी

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मुख्यमंत्री द्वारा आत्महत्याएँ करने वाले किसानों के परिवारों के दावे मासिक आधार पर निपटाने के निर्देश

ट्यूबवैलों पर मीटर लाने की कोई योजना नहीं -मुख्यमंत्री ने किसान यूनियनों को भरोसा दिलाया

इंडिया न्यूज सेंटर, चंडीगढ़ः
पंजाब सरकार ने विधान सभा के आगामी सत्र के दौरान राज्य की व्यापक कृषि नीति लाने का फ़ैसला करने के अतिरिक्त किसानों की भलाई के लिए अलग-अलग कदम उठाने का ऐलान किया है। यह घोषणा आज पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य की विभिन्न किसान यूनियनों के प्रतिनिधयोंं के साथ उच्च स्तरीय मीटिंगों के दौरान किया। मुख्यमंत्री ने किसान आत्महत्याएं से प्रभावित परिवारों के दावों का एक माह में निपटारा करने के निर्देश दिए। उन्होंने ऐसे मामलों के निपटारे के लिए सभी डिप्टी कमीश्नरों को प्रत्येक माह की पांच तारीख़ को मीटिंग करने की हिदायतें भी दीं। मीटिंगों के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हाल ही के किसानों के पटियाला विरोध के दौरान अस्पताल में दाखि़ल हुए किसान कार्यकर्ताओं के सम्पूर्ण खर्च किए की भरपाई करने का भी सरकार ने फ़ैसला किया है। किसान नेताओं को पुन: भरोसा दिलाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की ट्यूबवैलों पर मीटर लगाने की कोई योजना नहीं है। मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित विभागों को पहल के आधार पर लम्बित पड़े ट्यूबवैल कनैक्शन भी लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने आधिकारियों को किसानों के साथ सम्बन्धित सभी समस्याएं हमदर्दी के साथ विचारने का आदेश दिया जिससे इनकी समस्याओंं को अतिशीघ्र हल किये जाने को यकीनी बनाया जा सके। किसानों के प्रतिनिधियोंं ने कर्ज माफी, धान की पराली जलाने, कर्जे पर आढ़तियों द्वारा ब्याज लगाने और बैंकों की तरफ से दिए गए सीमा से -अधिक कर्जें सहित अन्य विभिंन मुद्दों को मुख्य मंत्री के समक्ष उठाया। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण और अपने सभी वायदे पूरे करने के लिए वचनबद्ध है। ट्यूबवैल कनैक्शन लगाने सम्बन्धित किसान यूनियनों की मांग के सम्बन्ध में बिजली सचिव ने कहा कि सभी लम्बित पड़े मामलों का निपटारा पहल के आधार पर किया जायेगा और इस संबंधी ज़रूरी नोटिफिकेशन एक सप्ताह मेें जारी कर दी जाएगी। उन्होंने ट्यूबवैलों पर बिजली के मीटर लगाए जाने के किसी भी प्रस्ताव पर स्पष्ट इन्कार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के इलैक्ट्रीसिटी रेगुलेटरी कमीशन की हिदायतें पर कुछ पंपों पर ही मीटर लगाऐ जा रहे हैं जिससे बिजली की उपभोग की मात्रा का पता लगाया जा सके जिस के साथ पावरकाम को सब्सिडी का भुगतान किया जा सके। मुख्यमंत्री ने किसानों को सीमा से -अधिक पानी प्रयोग के मुद्दे पर सावधान किया। उन्होंने यह कीमती स्रोत आने वाली पीढिय़ों के लिए संभाल कर रखने की अपील की। मुख्यमंत्री ने किसानों को फ़सली विभिन्नता को अपनाने का न्योता देते हुए कहा कि वह इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार की सहायता की मांग करेंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों को यह भी भरोसा दिलाया कि वह राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा कुर्की को ख़त्म किये जाने का मुद्दा केंद्र सरकार के पास उठाएगें क्योंकि यह मुद्दा राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों द्वारा कुर्की को ख़त्म किये जाने का फ़ैसला पहले ही राज्य सरकार द्वारा कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र की राह पर लिया जा चुका है। किसानों के सम्पूर्ण कर्जे माफ करने के सम्बन्ध में यूनियनों के नेताओं को बताया गया कि कर्जे निपटारा नीति गत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई थी जिस का अब जायज़ा लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार को इस समय पर वित्तीय मुश्किलें पेश आ रही हैं जिससे एक समान सम्पूर्ण कर्जे माफ करना संभव नहीं है। इस लिए सब से पहले छोटे और सीमांत किसानों के कर्जे माफ करने सम्बन्धित फ़ैसला लिया है जिन की राज्य के कुल किसानों में गिनती बड़ी मात्रा में है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि 2.5 एकड़ से कम ज़मीन वाले सीमांत किसानों के सम्पूर्ण कर्जे ख़त्म किये गए हैं जबकि 2.5 से पाँच एकड़ वाले छोटे किसानों के दो लाख रुपए तक के कर्जे माफ किये गए हैं। मुख्यमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के सम्बन्ध में स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट लागू करने की ज़रूरत पर यूनियनों की मांग के साथ सहमति जताई और कहा कि वह फिर यह मुद्दा केंद्र सरकार के पास उठाएगेें। धान की पराली को जलाने की समस्या पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए मुख्य मंत्री ने कहा कि चाहे उनकी सरकार इस सम्बन्ध में किसी विकल्प की संभावनाओं की तलाश में है परन्तु फिर भी वह पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को केंद्र सरकार द्वारा मुआवज़ा दिए जाने का मामला ज़ोरदार ढंग के साथ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही किसानों पर इस सम्बन्ध में कोई भी जुर्माना लाने की संभावनाओं से इन्कार किया हुआ है। आंदोलन दौरान मारे गए किसानों के वारिसों को नौकरी दिए जाने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि उनके मुख्य प्रमुख सचिव इस मामले को जाँच करेगेें। आत्महत्याएं करने वाले किसानों के वारिसों को नौकरी देने के सम्बन्ध में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जिनको पहले ही रोजग़ार उपलब्ध नहीं करवाया गया है, उनको ‘‘घर -घर नौकरी ’’ प्रोग्राम में शामिल किया जायेगा। यूनियनों ने बिजली के बिल का भुगतान न करने वाले किसानों विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करने और उन पर जुर्माने लाने का भी मुद्दा उठाया। इस सम्बन्ध में बिजली सचिव ने बताया कि रेगुलेटरी अथॉरटी की व्यवस्थाएं के अधीन सिर्फ जुर्माना ही लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में हिदायतें जारी करने के लिए विभाग को कहा जिससे प्रभावित किसान सीधे तौर पर एस.डी.एम. या डी.सी. को मिल सकें और उनको इस सम्बन्ध में किसी वकील की ज़रू

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