Punjab Arts Council organizes Trilingual Kavi Darbar dedicated to 400th Parkash Purb of Sri Guru Tegh Bahadur Ji
कवि और विद्वान धर्म के नाम पर फूट डालने वालों के खि़लाफ़ आवाज़ बुलंद करें और सब धर्मों के रक्षक गुरू तेग़ बहादुर जी के संदेश पर पहरा दें: सुरजीत पातर
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़: पंजाब कला परिषद् द्वारा नौवें गुरू श्री तेग़ बहादुर साहिब जी के 400 वें प्रकाशोत्सव को समर्पित पंजाब कला परिषद् द्वारा ऑनलाईन त्रिभाषी राष्ट्रीय कवि दरबार का आयोजन किया गया, जिसमें नौ कवियों ने भाग लिया, जिन्होंने हिंदी, पंजाबी और उर्दू में अपनी कविताएं पेश कीं।
कवि दरबार का उद्घाटन पंजाबी के प्रसिद्ध शायर और पंजाब कला परिषद् के चेयरमैन डॉ. सुरजीत पातर ने किया। इस मौके पर उद्घाटनी शब्द बोलते हुए डॉ. पातर ने कहा कि श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के जीवन, शिक्षाओं और अतुलनीय शहादत की महत्ता आज के दौर में और भी अधिक बढ़ गई है, जब धर्मों के नाम पर डाली जा रही फूट के कारण कई धर्मों की होंद को ख़तरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनैतिक लोग अपने संकुचित राजनैतिक हितों की ख़ातिर धर्म के नाम पर फूट डालकर नफऱत फैला रहे हैं।
उन्होंने इसके साथ ही कहा कि श्री गुरू तेग़ बहादुर जी को सर्व धर्म के रक्षक और ‘हिंद दी चादर’ के तौर पर जाना जाता है, जिन्होंने दबे-कुचले लोगों की होंद को बचाने के लिए बेमिसाल बलिदान दिया था। डॉ. पातर ने आह्वान किया कि ऐसे दौर में विद्वानों और कवियों की जि़म्मेदारी और भी बढ़ जाती है, कि वह श्री गुरु तेग़ बहादुर जी द्वारा हक़, सत्य और आत्म-सम्मान के साथ जीना और सब धर्मों की कद्र और सर्व साझेदारी के संदेश संबंधी आवाज़ बुलंद करें।
पंजाब कला परिषद् द्वारा मंच संचालन करते हुए निन्दर घुग्यानवी ने इस कवि दरबार में शामिल कवियों का परिचय करवाया। कवि दरबार के दौरान महक भारती ने अपनी कविता- ‘‘दया धर्म सच दी पहचान हो गया, गुरू तेग़ गुरू धर्म से कुर्बान हो गया’’ के साथ शुरुआत की। इसके बाद डॉ. रवीन्दर बटाला ने ‘फिकरे दी ताकत’ कविता पेश की। उर्दू शायर डॉ. रुबीना शबनम ने ‘क्या मुबारक थी घड़ी तेरा हुआ जन्म’ पेश की। अम्बाला से डॉ. सुदर्शन गासो, कशिश होशियारपुरी, प्रो. जगमोहन सिंह उदय, जसप्रीत कौर फ़लक, दिल्ली से डॉ. वनिता और मलेरकोटला से डॉ. नदीम अहमद ने गुरू तेग़ बहादुर साहिब जी संबंधी अपनी-अपनी रचनाएं पेश कीं। निन्दर घुग्यानवी ने यमला जट्ट का अमर गीत ‘तेग़ दे दुलारे वाह वाह वाह तेरियाँ कहानियाँ’ सुनाया।
कवि दरबार के अंत में डॉ. पातर ने अपनी कविता ‘जिस तेग़ के घाट गुरू उतरे, उस तेग़ से ख़ून नहीं सूखता’ पेश करते हुए सभी कवियों का धन्यवाद किया। यह कवि दरबार ऑनलाइन करवाया गया, जो पंजाब कला परिषद् के यू-ट्यूब चैनल पर जाकर देखा जा सकता है।