इंडिया न्यूज सेंटर, देवबंदः पत्नी को मोबाइल फोन पर दिए गए तलाक के एक मामले में दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर दिया है। फतवे में कहा गया है कि इस्लामी शरीयत कानून के तहत तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं है। अगर मर्द ने होश में तलाक दिया है तो वह तलाक माना जाएगा।
यह फतवा हरियाणा के पलवल जिला अंतर्गत गांव मलाई निवासी नसीम अहमद की याचिका पर दिया गया है। दारुल उलूम देवबंद द्वारा दो मई 2016 को दिए गए फतवे के मुताबिक, नसीम अहमद का निकाह 15 मई 2011 को राजस्थान के अलवर जिले की युवती के साथ हुआ था। नसीम अहमद ने मोबाइल फोन से पत्नी को तलाक देने का दावा किया था। इस पर पिछले तीन दिनों से पंचायतों का दौर जारी था। पंचायत में भी दो गुट बन गए।
एक गुट का कहना था कि मोबाइल पर दिया गया तलाक नाजायज है, जबकि दूसरा गुट इसे जायज बता रहा था। इस बीच नसीम ने दारुल उलूम देवबंद व दिल्ली की फतेहपुर मस्जिद इस्लामी संस्थाओं से राय मांगी थी।
हरियाणा के मलाई गांव में पंचायत आजः दारुल उलूम के सूत्रों की मानें तो इस फतवे के जारी होने के बाद मलाई गांव में पंचायत भी हुई, जिसमें लड़के पक्ष को कहा गया है कि वह बड़ी पंचायत से पहले पांच लाख रुपये जमा करा दे। इसके बाद ही दूसरी बड़ी पंचायत होगी, जिसमें फैसला सुनाया जाएगा। बीच अपने महिला बच्चों के साथ शौहर के घर में रह पाएगी या नहीं, यह फैसला भी पंचायत करेगी। सूत्रों के अनुसार, इस पंचायत के निर्णय के बाद पंचों को नसीम ने लिखकर दिया है कि उसके पास अग्रिम रकम जमा कराने के लिए पांच लाख रुपये का कैश नहीं है। इस बारे में वह गुरुवार यानी 29 दिसंबर को पंचों के सामने अपना पक्ष रखेगा। पूरे देवबंद में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि नसीम का एक रिश्तेदार देवबंद में भी रहता है।
मोबाइल फोन पर तलाक जायज : शाही इमाम
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुकर्रम अहमद ने मोबाइल फोन से तलाक देने को सही ठहराया है। उनके मुताबिक, मोबाइल फोन खुद नहीं बोलता. उसमें आदमी बोलता है। इसलिए यह जायज है। हालांकि, वाट्सएप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यमों से तलाक लिए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कुछ कहने से इन्कार किया है।