37 lakh cases pending in court for last 10 years, no hearing has been held, indian Judicial system 2020
न्यूज डेस्क, नई दिल्ली: पूरे भारत में हाईकोर्ट, जिला कोर्ट और तालुका कोर्ट के समक्ष कुल तीन करोड़ 77 लाख मामलों में से करीब 37 लाख मामले पिछले 10 सालों से लंबित पड़े हुए हैं। यह जानकारी राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) ने दी है, जो राष्ट्रीय स्तर पर अदालतों द्वारा किए जा रहे कार्यों की निगरानी करता है।
इसमें 28 लाख मामले जिला और तालुका अदालत में लंबित हैं। वहीं, 9,20,000 केस हाईकोर्ट में लंबित हैं। दूसरी तरफ, इस डाटा से पता चला है कि 6,60,000 से ज्यादा मामले पिछले 20 सालों से लंबित हैं। इसके अलावा 30 सालों से लंबित पड़े केस की संख्या 1,31,000 है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 जून को हाईकोर्ट में लंबित पड़े मामलों पर दुख जताया था। दरअसल, वह एक हत्या के दोषी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जबकि उसकी सजा के खिलाफ उसकी अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित सुनवाई के अधिकार को नोट किया और पाया कि इससे आपराधिक अपीलों का त्वरित निपटान होगा। यदि इस तरह की अपीलों पर उचित समय के भीतर सुनवाई नहीं की जाती हैं, तो अपील का अधिकार स्वयं भी भ्रामक हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पटना, ओडिशा, राजस्थान, बॉम्बे उच्च न्यायालयों से लंबित आपराधिक अपीलों को तय करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा।
एनजेडीजी के अनुसार, पूरे भारत में कुल तीन करोड़ 29 लाख मामलों में से जिला और तालुका अदालतों में 8.5% या 28 लाख मामले 10 साल से अधिक समय से लंबित पड़े हुए हैं। एनजेडीसी आकंड़ों को हर दिन अपडेट करता है और लंबित मामलों के समेकित आंकड़े प्रदान करता है। जिला और तालुका स्तर पर लंबित 5,00,000 या 1.5% से अधिक मामले दो दशक से अधिक पुराने हैं, जबकि 85,141 मामलों पर तीन दशक से कोई फैसला नहीं लिया गया है। लंबित मामलों के मामले में जिला अदालतें उच्च न्यायालयों से बेहतर हैं। देश भर में 25 उच्च न्यायालयों के समक्ष 47 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 9,20,000 (19.26%) से अधिक मामले 10 से अधिक वर्षों से लंबित हैं और 158,000 (3.3%) मामले 20 से अधिक वर्षों से, वहीं 46,754 तीन दशक या उससे अधिक समय से लंबित हैं।