विकास शर्मा, जालंधर: काबिलीयत और सादगी से परिपूर्ण पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक डा. कंवलजीत सिंह से हाल ही में मुलाकात हुई। मुलाकात के दौरान ये लगा ही नहीं कि इतने ऊंचे पद पर बैठा इंसान इतना सादगी प्रिय हो सकता है। डा. कंवलजीत सिंह के व्यवहार में घमंड की झलक दिखाई ही नहीं दी। उनसे चंद सवाल पूछे तो डायरेक्टर डा. कंवलजीत सिंह ने इत्मिनान से इनका जवाब दिया। पेश हैं मुलाकात के कुछ अंश:
-हाल ही में पिम्स ने एड्स अवेयरनेस मैराथन निकाली, क्या आगे भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे ?
उत्तर: जी हां। हमारा दायित्व बनता है कि समाज में एड्स जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए जागरूकता फैलाएं। जागरूकता ही बचाव के संदेश को आगे बढ़ाना है और इसी दिशा में पिम्स ने मैराथन निकाली। वैसे भी वल्र्ड हेल्थ डे पर हम ऐसे आयोजन करते रहते हैं।
-पिम्स में मरीजों की सुविधाओं का कैसे ध्यान रखा जाता है ?
उत्तर: हमारे यहां इलाज के लिए पीजीआई रेट को आधार बनाया गया है। बहुत कम कीमत पर आवश्यक मेडिकल टेस्ट किए जाते हैं और लोगों का उपचार किया जाता है। इसके अलावा डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ भी मरीजों व उनके अभिभावकों का काफी ध्यान रखता है। सबसे जरूरी है मरीज की देखभाल करना। इलाज के साथ सही देखभाल इसी पर हम काम कर रहे हैं।
-पिम्स में उपचार सुविधाओं को कैसे बढ़ा रहे हैं ?
उत्तर: हम अब पिम्स में सुपर स्पेशिएलिटी सुविधाओं को बढ़ाने जा रहे हैं। यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी सुपर स्पेशिएलिटी पर फोकस किया जा रहा है ताकि ऐसे मरीजों को इलाज के लिए कहीं और जाना न पड़े।
-एक डायरेक्टर के तौर पर पिम्स को कितने नंबर देंगे ?
उत्तर: बड़ी ही सादगी व साफगोई से कहा, मैं पिम्स को दस में से सात नंबर दूंगा क्योंकि कुछ काम और करने बाकी हैं। पिम्स में मैंने उपकरणों
की कमियों को दूर करने पर विशेष जोर दिया और इस काम में काफी हद तक सफलता भी हासिल की।
-पिम्स की भविष्य की योजनाओं के बारे में बताएं ?
उत्तर: हम पहले भी वल्र्ड हेल्थ डे मनाते रहे हैं। हम कई प्रकार के आयोजन कर चुके हैं और आगे भी ऐसे आयोजन करते रहेंगे। मेडिकल कालेजों के छात्रों को साथ लेकर नुक्कड़ नाटक भी किए हैं। मैराथन दौड़ में भी मेडिकल कालेज के स्टूडेंट्स ने भाग लिया था। पोस्टर मेकिंग मुकाबले भी करवाए हैं और आगे भी ऐसे मुकाबले होते रहेंगे ताकि बच्चों में प्रतियोगिता की भावना पैदा हो और उनका सर्वपक्षीय विकास हो।
-क्या मरीज शिकायत करने आते हैं ?
उत्तर: मरीजों की शिकायतों के मद्देनजर हमने पेशेंट वेलफेयर सेल बनाया हुआ है। सेल के सदस्य मरीजों के पास फीडबैक लेते हैं कि उनका इलाज कैसे चल रहा है और क्या वे इससे संतुष्ट हैं।
डब्ल्यूएचओ से भी जुड़े रहे डा. कंवलजीत
डा. कंवलजीत ने अपने बारे में बताया कि उन्होंने एमबीबीएस बेंगलूर गवर्नमेंट कालेज से की। गवर्नमेंट कालेज अमृतसर में भी रहे। पीसीएम भी सर्विस की। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ से भी जुड़ रहे। डा. कंवलजीत बताते हैं कि भारत पोलियोमुक्त देश है जबकि पड़ोस में पाकिस्तान व अफगानिस्तान में पोलियो के कई मामले नजर आ ही जाते हैं।