PM delivers inaugural address at 106th session of Indian Science Congress
भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 106 वें सत्र में पीएम ने उद्घाटन भाषण दिया
रजनीश शर्मा,जालंधरः लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया... वाजपेयी जी ने इसके साथ जय विज्ञान जोड़ा और अब मेरी तरफ से इसके साथ जय अनुसंधान जोड़ा जाए। अब जय जवान जय किसान जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा बोला जाए। यह नया मंत्र गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने फगवाड़ा स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस के उद्घाटन के दौरान उपस्थित देश विदेशों से आए वैज्ञानिकों व स्टूडेंट्स को दिया। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें साइंस को सामान्य लोगों से जाेड़ना होगा। हमें दुनिया की लीडरशिप लेने के लिए बहुत कुछ करना है। लोगों के जीवन के सभी पहलुओं को आसान बनाने के लिए काम करना होगा। विज्ञान का देश की प्रगति और लोगों के कल्याण में बहुत महत्व है। आज जरुरी है कि कम कीमत मेें कारगर तकनीक विकसित किए जाने की जरूरत है। किसानों के लिए सस्ते और कारगर तकनीक विकसित किए जाने की जरूरत है। बंजर धरती को उपजाऊ, कम वर्षा की समस्या से निजात दिलाने की दिशा मेें काम किए जाने की जरूरत है। मोदी ने कहा, हमें आज ऐसी रिसर्च की जरूरत है कि कि सोशल साइंस टेक्नोलॉजी का विकास हो सके। हमारा प्राचीन ज्ञान शोध पर ही आधारित रहा है। हमारे पूर्वजों ने विज्ञान से लेकर कला से संस्कृति और चिकित्सा के क्षेत्र में खोज व शोध से दुनिया को प्रकाशित किया है। अब समय आ गया है कि भारत दुनिया में उसी स्थान को फिर से हासिल करें। हमें दुनिया में प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है श्रेष्ठता दिखानी है। हमें देश को उस स्तर पर ले जाना है जिससे दुनिया भारत के पीछे चल पड़े। इसके लिए रिसर्च का इकोसिस्टम बनाना है। हमें आने वाले समय में नॉलेज वर्ल्ड सोसायटी के लाइन में खड़े होना है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे देश में कम कीमत में ढेर सारा ज्ञान पाने की दिशा में काम करना होगा। कई सवालों पर मंथन किया जाना आवश्यक है। क्या हम अपने देश की कम बारिश वाले इलाकों में बेहतर और वैज्ञानिक ढंग से ड्रोन मैनेजमेंट पर काम कर सकते हैं, क्या प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी के क्षेत्र में और सुधार कर सकते हैं ? इन सवालों के हल से कृषि क्षेत्र को फायदा तो होगा ही सामान्य लोगों की जिंदगी को भी बचाया जा सकता है। इनसे हम अपने बच्चों को चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को बचा सकते हैं। बेहतर स्वास्थ्य के लिए अधिक प्रभावी तकनीक विकसित कर सकते हैं।पीने के पानी की समस्या से निबटने के लिए रिसायकल एवं कंजर्वेशन से जुड़ी नई तकनीक विकसित कर सकते हैं। यह बड़ी चुनौती हे कि क्या हम कोई ऐसा सिस्टम बना सकते हैं जिससे हमारे संवेदनशील संस्थानों को ऐसी साइबर सुरक्षा मिल सके कि उसे भेदना नामुमकिन हो जाए।