विकास शर्मा, जालंधर: नार्दर्न रेलवे में फर्जी सर्टीफिकेट के आधार पर महत्वपूर्ण पद पर नौकरी करने के मामले का पर्दाफाश हुआ है। ये महत्वपूर्ण पद है ईआरसी कंप्लेंट इंस्पेक्टर, जालंधर का और इस पद पर जो शख्स बैठा है उसका नाम है मनमोहन सिंह। इस सारे मामले से पर्दा उठ जाने के बावजूद अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और मनमोहन सिंह अभी भी इस पद पर हैं। इस मामले को उजागर किया है सीमा सुरक्षा बल से रिटायर इंस्पेक्टर यशदेव सिंह राणा ने। राणा बताते हैं कि उन्हें पता चला कि मनमोहन सिंह ने फर्जी सर्टीफिकेट के आधार पर स्पोट्र्स कोटे से रेलवे में नौकरी ली। नौकरी के लिए मनमोहन सिंह ने जो सर्टीफिकेट जमा करवाए उनमें से एक था खो खो इंडिया में राष्ट्रीय स्तर मुकाबले में भाग लेने का प्रमाण पत्र। इस सर्टीफिकेट में बताया गया कि मनमोहन सिंह ने 27 दिसंबर 1981 को इचालकरनजी खोहालपुर में हुए आयोजित किए खो खो मुकाबले में तीसरा स्थान हासिल किया है। इसके अलावा मनमोहन सिंह ने एक और प्रमाण पत्र दिया जिसमें 28 सितंबर 1979 को पोलोग्राउंड पटियाला में हुए मुकाबले में तृतीय स्थान हासिल करने का विवरण गया है। ये सर्टिफिकेट खो खो एसोसिएशन की तरफ से जारी हुआ बताया जाता है। राणा बताते हैं कि उन्होंने आरटीआई के माध्यम से डिवीजनल मैनेजर, नार्दर्न रेलेव फिरोजपुर से प्रमाणपत्रों की प्रतियां प्राप्त कीं। इसके बाद राणा ने डायरेक्टर स्पोट्र्स एंड यूथ सर्विस महाराष्ट्र से जानकारी ली कि क्या 1981-1982 में नेशनल खो खो मुकाबले हुए थे या नहीं। इसके जवाब में डायरेक्टर ने लिखा कि लडक़े-लड़कियों के मुकाबले 1981-82 राजाराम ग्रुप इचालकरनजी व खोहालपुर रीजन की गेम्स 23 से 27 दिसंबर 1९81 को नहीं हुईं। इसके बाद राणा ने पंजाब ओलंपियन एसोसिएशन से पूछा कि 26 से 28 सितंबर 1979 में पोलोग्राउंड पटियाला में खो खो चैंपियनशिप हुई तो एसोसिएशन ने कहा कि वे इस पत्र का जवाब देने के लिए वचनबद््ध नहीं हैं। राणा यहीं नहीं रुके फिर उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त के पास अपील की। राज्य सूचना आयुक्त ने स्पोट्र्स एसोसिएशन को इस मामले की पड़ताल करने को कहा। राणा बताते हैं कि इस दौरान उन पर दबाव डालने की कोशिश की गई लेकिन वे डरे नहीं। उन्होंने रेलवे अधिकारियों, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को पत्र लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं आया। सबसे हैरान करने वाली बात ये कि पंजाब डायरेक्टर स्पोट्र्स से मैंने ग्रेडेशन लिस्ट मांगी व हासिल की उसमें मनमोहन सिंह का नाम ही नहीं है। वैसे इस मामले की शिकायत राणा ने जनरल मैनेजर, विजिलेंस को तथ्यों के साथ की है। इस पूरे मामले के बारे में जब फिरोजपुर डिवीजन के मंडल प्रबंधक अनुज प्रकाश से इंडिया न्यूज सेंटर ने बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा कोई मामला है तो यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। अगर उनके पास शिकायत आती है तो वे इस मामले में जरूर जांच करवाएंगे।
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
राणा बताते हैं कि जब मनमोहन सिंह को इस बात का पता चला तो उसने अपनी कुर्सी बचाने के लिए राणा पर मानहानि का केस करके दो लाख रुपये मुआवजे की मांग की। जब केस की सुनवाई हुई तो मनमोहन सिंह से राणा के वकील ने सवाल पूछे तो मनमोहन सिंह ने कहा कि उसका सिर चकरा रहा है और पानी पिला दें। इसके बाद दूसरी सुनवाई पर मनमोहन सिंह आया ही नहीं। बाद में पता चला कि मनमोहन सिंह ने यह कहकर कि मेरा राणा से राजीनामा हो गया, केस वापस ले लिया है। यशदेव सिंह राणा कहते हैं कि वे बताना चाहते हैं कि उनका मनमोहन सिंह से कोई राजीनामा नहीं हुआ है। राणा के मुताबिक मनमोहन सिंह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर भर्ती हुआ था और बाद में ईआरसी कंप्लेंट इंस्पेक्टर तक के पद तक पहुंचा। राणा बताते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने गुजारिश की कि इस मामले में बनती कार्रवाई की जाए ताकि अन्य भ्रष्टाचारी लोग इससे सबक ले सकें।