भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा परम्परा में जड़ी बूटियां, फल -फूल, बीज, छाल ,धातु, भस्म और प्राकृतिक खनिज लवणों से उपचार होता आया है। इस श्रृंखला में प्राकृतिक सम्पदा एवम वस्तुओं के प्रयोग के विषय में जितनी जानकारी आयुर्वेद जानता है, उतना शायद ही कोई अन्य चिकित्सा शास्त्र। आज हम जानेंगे ऐसे ही एक अद्भुत खनिज लवण फिटकरी के बारे में। यह लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। अधिकतर सफेद फिटकरी का प्रयोग ही किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुडऩ पैदा करने वाली होती है। फिटकरी में और भी बहुत गुण होते हैं। फिटकरी एक प्रकार का खनिज है जो प्राकृतिक रूप में पत्थर की शक्ल में मिलता है। इस पत्थर को एल्युनाइट कहते हैं। इससे परिष्कृत फिटकरी तैयार की जाती है। ठीक सेंधा नमक की तरह ये भी चट्टानों से मिलती है। यह एक रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ है। इसका रासायनिक नाम है पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट। आइए जानें फिटकरी के कुछ घरेलु उपयोग -
1.फिटकरी को चोट या घाव लगने पर इस्तेमाल करें। फिटकरी का पानी लगाने से घाव से खून बहना बंद हो जाएगा।
2. फिटकरी एंटी बैक्टीरियल होती है इसलिये पानी में फिटकरी को घोलकर नहाने से किसी प्रकार का संक्रमण नही फैलता और पसीने की दुर्गन्ध से भी छुटकारा मिलता है।
3. एंटी बैक्टीरियल और जीवाणुरोधी गुण के कारण फिटकरी से पानी को साफ किया जाता है।
4. फिटकरी को माउथवॉश की तरह भी प्रयोग किया जा सकता है।
5. फिटकरी और काली मिर्च पीसकर दांतों की जड़ों में मलने से दांतों की दर्द में लाभ होते है।
6. शेव करने के बाद चेहरे पर फिटकरी लगाने से चेहरा मुलायम हो जाता है।
7. प्रतिदिन फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें ,इससे दांतों के कीड़े तथा मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
8. दस्त और पेचिश की परेशानी से बचने के लिए 1-2 चुटकी भुनी हुई फिटकरी को गुलाबजल के साथ मिलाकर पीने से खूनी दस्त आना बंद हो जाते हैं।
9. एक लीटर पानी में 10 ग्राम फिटकरी का चूर्ण घोल लें। इस घोल से प्रतिदिन सिर धोने से सिर के जुएं मर जाती हैं।
10.फिटकरी को गर्म पानी में मिलाकर जननांगों को धोने से जननांगों की खुजली या संक्रमण की समस्या से रहत मिलती है और ये प्रयोग जननांगों की स्वच्छता के लिये निरापद उपाय है।