इंडिया न्यूज सेंटर, जालंधर: फिरोजपुर रेल डिवीजन के कामर्शियल विभाग का भ्रष्टाचार से पुराना रिश्ता है। चाहे रेलवे बुकिंग का एसपीटीएम घोटाला हो या यूटीएस घोटाला या विज्ञापन घोटाला। रेलवे के कुछ अधिकारियों का इन घोटाले बाजों से पुराना रिश्ता रहा है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। मामला है फिरोजपुर शहर के गुड्स कार्यालय का। वर्ष 2008 में रैक की डिमांड बुकिंग के लिए जो रुपया जमा हुआ वे पैसा रेलवे के खाते में गया ही नहीं है। बताते हैं कि फिरोजपुर सिटी के गुड्स कार्यालय में लाखों रुपये रेलवे के खाते से निकालकर डकार लिया गया। आरोपी इस समय ढंडारी कलां रेलवे स्टेशन पर अधिकारियों की सरपरस्ती में नौकरी कर रहा है। इस मामले से पर्दा उठाते हुए रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी अमरदीप सिंह ने सेंट्रल विजिलेंस कमीशन से शिकायत की है। साथ ही कहा कि इस मामले में रेलवे अधिकारी आरोपी को बचा रहे हैं। यह एक जांच का विषय है। अगर इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी जाए तो आरोपी के साथ-साथ रेलवे के अधिकारी भी जांच के दायरे में आ जाएंगे। खास बात यह रही कि इस मामले डाक्यूमेंटस एवीडेंस होने के बाद भी आरोपी को रेलवे अधिकारी क्यों बचाते रहे यह भी जांच का विषय है। अमरदीप सिंह ने अपनी शिकायत में चीफ गुड्स सुुपरवाइजर अशोक कुमार पर आरोप लगाया है। आरोप के मुताबिक जब अशोक कुमार फिरोजपुर सिटी में चीफ गुड्स सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे तो उन्होंने रेलवे अधिकारियों की नाक के नीचे इस घोटाले को अंजाम दिया। दरअसल रेलवे के माध्यम से माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए व्यापारियों द्वारा रैक बुक करना होता है। ये बुकिंग माल गोदाम के इंचार्ज को करनी होती है। नियम के मुताबिक रैक की बुकिंग के लिए जो राशि रेलवे के पास जमा होती है अगर रेलवे दस दिन के अंदर रैक उपलब्ध न कराए तो पैसा रिफंड हो जाता है। अगर रैक की मंजूरी मिलने पर व्यापारी रैक न ले तो रेलवे के पास जमा राशि जब्त कर ली जाती है लेकिन यहां पर व्यापारी द्वारा रैक की राशि के एवज में रसीद जारी की गई, लेकिन यह पैसा रेलवे के खाते में जमा ही नहीं हुआ था। अशोक कुमार द्वारा बुकिंग कार्यालय से रसीद जमा कराकर पैसा रिफंड ले लिया गया था। इसी तरह से रेलवे से 2.60 लाख रुपये का रिफंड लिया गया। बताते हैं कि काफी समय से यह गोरखधंधा चलता रहा। बाद में इस मामले से पर्दा उठते ही डिवीजन कार्यालय द्वारा वरिष्ठ कामर्शियल मूवमेंट इंस्पेक्टर आईएसभाटिया व अरविंद शर्मा को जांच सौंपी गई। सीएमआई द्वारा की गई जांच में कई लोगों से पैसे लेकर उनको रसीद दी लेकिन ये सारे पैसे रेलवे के खजाने में जमा हीं नहीं करवाए। अमरदीप सिंह की शिकायत में कुछ रसीदों 695451, 695452, 695453,695454, 695455 (छह फरवरी 2008), 695456,695457,695458,695460, 695462,695463, 695464 का भीजिक्र है। शिकायत में अमरदीप सिंह लिखते हैं कि कई और ऐसी रसीदें हैं अगर उनको भी मिला लिया जाए तो 2.60 लाख रुपये जमा नहीं करवाए गए। मिलीभगत से अशोक कुमार ने कई रसीदों को जमा कराकर रिफंड भी ले लिया। मजे की बात तो यह है कि रेलवे के अधिकारियों के इन भ्रष्टाचारियों से इतने मधुर संबंध हैं कि इनको बचाने में वह अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करते हंै। इस पूरे मामले में कोई पैसा रेलवे के खाते में जमा नहीं हुआ और रिफंड ले लिया गया।
सीएमआई रिपोर्ट की खास बातें
जालंधर: सीएमआई ने अपनी जांच में पाया कि रैक रजिस्ट्रेशन फीस की रसीद तो काटी गई लेकिन उसको प्रायेयटी रजिस्टर में दर्ज ही नहीं किया गया। यही नहीं इसकी सूचना दर्ज करने के बाद स्टेशन अधीक्षक या स्टेशन मास्टर को दे देनी होती है वह भीं नहीं दी गई है। कुछ समय बाद अवैध तरीके से रिफंड दिया गया। रिफंड तभी दिया जा सकता है जब वैगन समय पर लोड हुई हो या रेलवे रैक की सप्लाई देने में फेल हो जाए। इसके अलावा एक पे आर्डर नंबर 716723 (राशि 2.2लाख) और एमआर (मनी रसीद) नंबर 176788 जो पार्टी पंजाब एग्रोफिरोजपुर को 6 मार्च 2008 को इश्यू की गई है। इस रसीद की एडजस्टमेंट किसी और पार्टी में कर दी गई। सीएमआई ने अपनी रिपोर्ट संख्या एके-एफजेडपी-09, दिनांक 22 जून 2009 में ऐसी कई खामियों को उजागर किया है।
मंडलाधिकारियों ने विजिलेंस को भी किया दरकिनार
इस केस में सीजीएस अशोक कुमार को 26 मार्च 2014 को एडमिनिस्ट्रेटिव ग्राउंड पर ढंडारी कलां से जगराओं तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित करने के निर्देश फिरोजपुर डिवीजन के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक को जारी किए गए थे। ये स्थानांतरण आदेश पत्र संख्या नंबर 940ई-10- गुड््स-टीआरजी-पीआईए, 26 मार्च 2014, केेस संख्याा सीनियर डीसीएम-फिरोजपुर-पत्र संख्या एमसी-35076 दिनांक 25 मार्च 2014 पर जारी किए गए थे।
आखिर प्रशासन ने अशोक कुमार का तबादला क्यों नहीं किया। ये भी एक जांच का विषय है। इस मामले की शिकायत रेल मंत्री सुरेश प्रभु, एडवाइजर विजिलेंस मिनिस्टर ऑफ रेलवेे, एज्जिक्यूटिव डायरेक्टर विजिलेंस को दी गई लेकिन उसके बावजूद भी मंडलाधिकारियों के कानों में जंू तक नहीं रेंगी। हो भी कयों न फिरोजपुर मंडल के ढंडारी कलां रेलवे स्टेशन को मलाईदार रेलवे स्टेशन माना जाता है। इस स्टेशन पर भारी मात्रा में व्यापारियों के माल का आवागमन है।
सीबीआई में दर्ज हो सकता है मामला
अमरदीप सिंह ने सेंट्रल विजीलेंस कमिशन को अपनी शिकायत में कहा है कि अशोक कुमार के खिलाफ लगे आरोपों व रेलवे को हुए नुकसान में रेलवे के अधिकारी व उन यूनियन नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई हो जिन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त अशोक कुमार की मदद की है। सीवीसी इस मामले की जांच सीबीआई को सांैपने की सिफारिश करें जिससे कि सारे मामले से पर्दा उठ सके।
(रेलवे से जुड़े घोटालों की परतों की अगली कड़ी जल्द)