इंडिया न्यूज सेंटर, नोएडा। अखलाक मर्डर केस में लुक्सर जेल में बंद आरोपी रविन की डेडबॉडी जेलर से परमीशन के बाद बुधवार रात करीब सवा नौ बजे उसके गांव बिसाहड़ा पहुंची। इसके बाद हर तरफ मातम और रोने की आवाज ही सुनाई दे रही थी। ग्रामीणों में आक्रोश चरम पर है, जिसे देखते हुए गांव में भारी पुलिसफोर्स तैनात है। गुरुवार सुबह रविन का अंतिम संंस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किए जाने की बात कही जा रही है। उसका शव तिरंगे में लिपटा हुआ पहुंचा था। ग्रामीणों का कहना है कि रविन की मौत नहीं हुई है, बल्कि उसने गांव के इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी है। उसकी शहादत बेकार नहीं जाएगी। उसे तभी मुखाग्नि दी जाएगी, जब अखलाक के भाई जान मोहम्मद की गिरफ्तारी होगी। ग्रामीणों ने मांग की कि रविन के परिवार को 1 करोड़ रुपए का मुआवजा और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। रविन का शव प्राचीन शिव मंदिर के बाहर रखा गया है। वहां पहले से करीब 25 से ज्यादा लोग धरना दे रहे हैं। मां निर्मला और पिता रणवीर का रो-रो कर बुरा हाल है। उधर, लुक्सर जेल में बंद इस मामले में 14 आरोपियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। पुलिस प्रशासन और आला-अधिकारियों के हस्ताक्षेप के बाद भी वह भूख हड़ताल कर रहे हैं। वहीं, जेल के बाहर भी कुछ हिंदू संगठनों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।