इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्लीः नोट बंदी के फैसले को संगठित लूट करार दे कर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोल चुके पूर्व प्रधानमंत्री ने बुधवार को संसद की वित्त मामलों की समिति की बैठक में अपने नरम रुख से सबको चौंकने पर मजबूर हो गया। मनमोहन ने समिति के समक्ष पेश हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल को कई ऐसे कड़े और चुनिंदा सवालों का जवाब देने से बचने की सलाह दे डाली, जिससे विपक्ष सरकार को घेर सकता था। हालांकि इनमें से कुछ सवाल ऐसे भी थे जिसके जवाब आने से आरबीआई के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं।
गौरतलब है कि मनमोहन सिंह पहले खुद आरबीआई गवर्नर रह चुके हैं और उस पद की गरिमा के साथ ही उससे जुड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी समझते हैं। कमेटी के एक सदस्य के मुताबिक मनमोहन सिंह ने उर्जित पटेल की मानसिक स्थिति को समझते हुए उनके बचाव में उतरे।
दरअसल कमेटी के समक्ष पेश हुए पटेल से एक सांसद ने जब यह पूछा कि क्या अगर रकम निकालने की मौजूदा सीमा हटा ली जाती है तो इससे अव्यवस्था खत्म हो जाएगी? इस पर पटेल कुछ बोलते इससे पहले ही पूर्व पीएम ने उन्हें इस सवाल को टाल देने की सलाह दी। मनमोहन ने पटेल से कहा कि उन्हें ऐसे सवाल का जवाब देने से बचना चाहिए जो भविष्य में परेशानी का कारण बन जाए। इसके बाद पटेल ने इन सवालों का सीधा जवाब न देते हुए बीच का रास्ता अपनाया। उन्होंने समिति को बताया कि नोट बंदी की घोषणा के बाद 9.2 लाख करोड़ की नई करेंसी आ चुकी है। इस दौरान पटेल ने इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया कि अब तक बैंकों में कितनी नई करेंसी जमा हुई है।